गाडियों पर 28 प्रतिशत से कम टैक्‍स लगना चाहिए : transporter-ashvani

अश्‍वनी जी पंजाब के संगरूर के रहने वाले है। इनका कहना  है कि इन्‍होंने दो गाडियों से ट्रांसपोर्टस के काम की शुरूआत की थी। आज इनके पास खुद की सात से आठ गाडियां अपनी है।इनका कहना है कि ट्रांसपोर्टस लाइन में अब पढे लिखे और पैसे वाले लोग आने लगे है। एक जमाना था जब नए लोग इस बिजनेस में नहीं आते थे। नए लोगों के इस लाइन में एक वजह यह भी है कि अब यह बिजनेस आनलाइन हो गया है। कई काम आनलाइन हो गए है। इससे सहुलियतें बढ गई है। अश्‍वनी जी गाडियों में ओवरलोड को बिल्‍कुल ही नही सही मानते है ।इनका कहना है कि यादि गाडी की किश्‍ते ना निकले तो गाडी की किश्‍ते निकालने के लिए मजबूरी में करना पडता है ओवरलोड , वैसे एक गाडी वाले को गाडी को अंडरलोड चलाने में ही फायदा है।इनका कहना है कि आज के टाईम में इस काम में मंदी छाई हुई है । इस बिजनेस में सबसे ज्‍यादा दिक्‍कत तो यह आ रही है रोड टैक्‍स और टोल टैक्‍स काफी बढ गए है । सरकार ने नई गाडी पर 28 प्रतिशत टैक्‍स लगाया है जो कि आज के समय ट्रांसपोर्टस के लिए परेशानी का कारण बनी हुई है।  मध्‍यप्रदेश और महाराष्‍ट्र बार्डर पर आरटीओ और पुलिस वाले गाडी को बहुत परेशान करते है , बार्डर पर एण्‍टरी की फीस लेते है इंश्‍योरेंस के रेट कम होने चाहिए । डीजल के रेट आए दिन बढते रहते है। सरकार को गाडियों पर 28 प्रतिशत से कम टैक्‍स लगाना चाहिए और भाडे के रेट किलोमीटर के हिसाब से तय करने चाहिए। इनका सुझाव है कि सरकारट्रांसपोर्ट लाइन को थोड़ी राहत दें। रोड टैक्‍स के साथ साथ ट्रांसपोर्टर्स से टोल टैक्‍स लिया जाता है, जो कि गलत है। टोल टेक्‍स और रोड टैक्‍स मे से एक टैक्‍स ही लेना चाहिए। उनका कहना है कि सरकार के हाथ में सब कुछ है, वो चाहे तो कुछ भी कर सकती है।

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