चालान के रेट बढा कर ट्रांसपोर्टस को परेशान करने का काम किया है : transporter-jarnail-singh

जरनैल सिंह पंजाब के पटियाला के रहने वाले है। उनके पास खुद के दो ट्रक है। वो पिछले 11 सालों से इस बिजनेस से जुड़े है। ट्रांसपोर्ट लाइन के आनलाइन हेाने से वे इसे फायदेमंद मानते है। वे कहते है कि आनलाइन सिस्‍टम ने ट्रासंपोर्ट लाइन को बदल दिया है। जीपीएस की मदद से इस बिजनेस में बडी समस्‍या खत्‍म हुई है। अकसर ट्रांसपोर्टस अपनी गाडियों की चिंता में रहते थे, लेंकिन अब उन्‍हें जीपीएस की सहायता से अपनी हर गाडी के बारे में पूरी जानकारी प्राप्‍त हो रही है। उनका कहना है कि सरकार ने नए मोटर व्‍हीकल एक्‍ट में चालान के रेट बढा कर ट्रांसपोर्टस को परेशान करने का काम किया है। जीएसटी लगने के बाद कई समस्‍याओं को कुछ हद तक खत्‍म कर दिया है। उनकाका मानना है कि सरकार द्वारा डीजल के रेट कम करने से ट्रांसपोर्ट बिजनेस में कुछ सुधार होगा, क्‍योंकि डीजल के रेट बढते रहते है, लेकिन भाडा नहीं बढता, जिससे पेट्रोल का खर्च व किस्‍ते भी नहीं निकल पाती, जिसकी वजह से ट्रांसपोर्टस को घाटा पहुंचता है । उनका कहना है कि ट्रांसपोर्ट लाइन में वर्तमान समय में जाे नियम लागू किए जा रहे है, उससे भी कुछ हद तक इस बिजनेस में कमी आ रही है, क्‍योंकि गाडियों का इंश्‍योरेंस काफी मंहगा है, जिसकी किस्‍त दे पाना ट्रांसपोर्टस के सिर का दर्द बन गया है। यदि गाडियों के इंश्‍योरेंस कम हो जाते है तो इस बिजनेस में भी बढोतरी होने के आसार बढ जाएंगे। उनका कहना है कि ट्रांसपोर्टस लाइन में सबसे ज्‍यादा दिक्‍कत यह आ रही है कि भाडे के रेट कम है और गाडियों के खर्चे बहुत ज्‍यादा है। मार्केट में काम की मंदी होने की वजह से ट्रांसपोर्टस का काम मंदा चल रहा है। गाडी के इंश्‍योरेंस  और टैक्‍स के रेट काफी बढ रहे है। डीजल के रेट ही महीने  बढ रहे है।

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