ट्रांसपोर्ट  बिजनेस के ऑनलाइन होने से काफी फायदा हो रहा है : transporter गुरपाल सिंह

गुरपाल सिंह जी मोहाली के रहने वाले है। इन्‍हें ट्रांसपोर्ट लाइन में 14 साल हो गए है। इन्‍होंने तीन गाडियों से ट्रांसपोर्टस का काम शुरू किया था। आज इनके पास खुद की छह गाडियां है। पिछले दस सालों में ट्रांसपोर्ट लाइन में आए बदलाव को वह इस बिजनेस के लिए अच्‍छा मानते हैं। गुरपाल सिंह का कहना है कि ट्रांसपोर्टस  बिजनेस के ऑनलाइन होने से काफी फायदा हो रहा है। अब आनलाइन माल मिल जाता है। माल को ईधर उधर ढूढना नही पडता है, माल आसानी से मिल जाता है। ऑनलाइन ही गाडी के कागज बन जाते है। कागज बनवाने के लिए भी ज्‍यादा परेशान  नही होना पडता है। गाडियों में जीपीएस  के लगे होने से गाडी  की लोकेशन  को आसनी   से चैक कर  सकते है।  वे बिल के आने से ट्रांसपोर्ट लाइन को काफी फायदा हो रहा है अब जगह जगह गाडी को रोकना नही पडता है। ई वे बिल के पास होने से गाडी को  आसनी से जाने  दिया जाता है। गुरपाल सिंह का कहना है कि गाडियों में ओवरलोड  बिल्‍कुल भी सही नही है । गाडी में ओवरलोड होने से गाडी काे ही नुकसान होता है। ओवरलोड से गाडी पर खर्च ज्‍यादा होता है। गाडी की रिपेयर और मेनटेनस  पर  ज्‍यादा खर्चा आता है। अंडरलोड गाडी को चलाने से गाडी की मेनटेनस बरकरार रहती है और ड्राइवर की जान जाने का खतरा कम रहता है। गुरपाल सिंह कहते है कि गाडी के इंश्‍योरेंस के रेट काफी बढ गए है। सरकार ने टोल टैक्‍स और  डीजल के रेट काफी बढा दिए है।  एक टोल टैक्‍स का रेट  300  से शुरू होकर 800 तक होता है। कमाई का बड़ा हिस्‍सा टोल टैक्‍स और अन्‍य टैक्‍स में खर्च हो जाता है। सरकार टोल टैक्‍स लें, लेकिन ट्रांसपोर्ट लाइन को कुछ रियायत देनी चाहिए। इनका कहना है कि अब ट्रक यूनियन खत्‍म होती जा  रही है।  ट्रक यूनियन के खत्‍म होने से काम भी कम होता जा रहा है ट्रांसपोर्ट लाइन का।  इनका मानना है कि  इस  समय ट्रांसपोर्ट  के काम  में थोड़ी मंदी आ गई है। लेकिन यह कुछ समय में दूर हो जाएगी।

 

 

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