भाडे के रेट पर किलोमीटर के हिसाब से तय होने चाहिए : transporter-narender
नरेन्द्र जी पंजाब में नवाशहर के रहने वाले है। इन्होंने आठ गाडियों से ट्रांसपोर्टस के काम की शुरूआत की थी ! इनके भाई साहिब जी भी ट्रांसपोर्टस लाइन में ही काम करते थे। इनके भाई साहिबको 16 साल हो गए इस लाइन से जुडे हुए। नरेन्द्र जी कहते है कि आज ट्रांसपोर्टस बिजनेस ऑनलाइन हो रहा है । ऑनलाइन सिस्टम से इस लाइन को काफी फायदा हो रहा है। अब हर काम जल्दी हो जाता है। गाड़ी के कागज बनाने से लेकर गाड़ी में माल लोड करवाने, तेल भरने और भाड़ामिलने तक सब कुछ आनलाइन हो गया है। यह बढिया भी है। इससे समय तो बचता ही है, पैसे की भी बचत हो रही है। इसी तरह ई वे बिल के आने से दो नंबर का काम खत्म हो गया है। अब गाडियों को बार्डर पर बार बार चैक करवाने के लिए नही रूकना पडता है। नरेंद्र जी अपनी गाडि़यों को अंडरलोड चलाते है । ओवरलोड गाडी चलाने पर सरकार ने भारी जुर्माना रखा हुआ है। अंडरलोड गाडी चलाने से गाडी भी सेफ रहती है। उनका कहना हैकि इस बिजनेस में सबसे बडी दिक्कत अच्छे ड्राइवरों की कमी है । आजकल बढिया ड्राइवर मिलते नही है। इस लाइन में पुलिस वाले बहुत ही तंग करते है। गाडी के सारे कागज पूरे होने के बाद भी गाडी वाले से पैसे लेने ही होते है पुलिस वालो ने, यह सबसे बडी दिक्कत का कारण है। इनका सुझाव है कि पुलिस वाले गाडी वाले को तंग करना बंद करे और भाडे के रेट बढने चाहिए। भाडे के रेट पर किलोमीटर के हिसाब से तय होने चाहिए ताकि ट्रांसपोर्टस का काम बढिया चले। उनकी सरकार से मांग है कि ट्रांसपोर्ट लाइन पर टैक्स कम किए जाए, खास तौर से टोल टैक्स और रोड टैक्स में से एक टैक्स ही लिया जाए। इससे ट्रांसपोर्ट लाइन को थोड़ी राहत मिलेगी।
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