ओवरलोड बंद कर के अंडर लोड के हिसाब से भाडा तय होना चाहिए : transporter-jitender-singh

जितेन्‍द्र सिंह जी पंजाब के डेराबस्‍सी के रहने वाले है। इनका कहना है कि इनके पिता जी भी यही काम करते थे  और अब हम इस लाइन में काम कर रहे है। आज ट्रांसपोर्टस बिजनेस के ऑनलाइन होने से ट्रांसपोर्टस लाइन में भाडे के रेट तो सही मिल रहे है ,लेकिन ऑनलाइन में यह दिक्‍कत आती है कई बार । इनका कहना है कि वे एक आनलाइन कंपनी के साथ जुड़े है, लेकिन उस कंपनी का माल चण्‍डीगढ के लिए नही मिलता है । इनका कहना है कि  ई वे बिल का फायदा है कि ई वे बिल के ऑने से अब गाडी वाले को गाडी समय पर खाली कर के मिल जाती है अब ड्राइवर भी माल पहुंचाकर समय पर गाडी वापिस कर देता है अब गाडी वाला रेस्‍ट कर सकता है । पहले तो बार्डर पर पेपर के चक्‍कर में गाडी दो से तीन दिन भी लग जाते थे। इनका कहना है किक ओवरलोड तो गाडी में बंद ही होनी चाहिए ओवरलोड तो गाडी के लिए भी गलत है। उनका कहना है कि ओवरलोड से व्‍यापारी को फायदा होता है गाडी वाले को तो नुकसान होता है। अंडरलोड गाडी चलाना बेस्‍ट है।  इनका कहना है कि सन 2018 से गाडी के इंश्‍योरेंस इतने बढ गए है कि गाडी का इंश्‍योरेस करवाने में सबसे ज्‍यादा दिक्‍कत हो रही है आज के टाईम में। एक गाडी वाला रोड टैक्‍स भी पे करता है। और टूल टैकस भी पे करता है। इनका कहना है कि चण्‍डीगढ से दिल्‍ली तक के जाने के हजारों रूपए टोल के पड जाते है।  अब व्‍यापारी न तो टोल के रेट का हिसाब लगाता है और ने ही डीजल के रेट का हिसाब लगाता है, बस अपने हिसाब से भाडे का रेट तय करता है ज्‍यादा कहो तो बोल देते है चल मैं कर दूगा। इनका सुझाव है कि गाडी अंडरलोड चलनी चाहिए और अंडरलोड के हिसाब से गाडी के खर्च को निकाल कर भाडे के रेट तय होने चाहिए। आज के टाईम में गाडी के पेपर जैसे गाडी का इंश्‍योरेंस करने में सबसे ज्‍यादा दिक्‍कत आ रही है वो चीज कम होनी चाहिए और ओवरलोड बंद कर के अंडर लोड के हिसाब से भाडा तय होना चाहिए।

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