गाडियों के भाडे के लिए बार बार चक्कर लगाने पड़ते है: transporter-sukhraj-singh
सुखराज जी दस सालों से ट्रांसपोर्ट लाइन में काम कर रहे है। वे डेराबसी के रहने वाले है। इनकी उम्र 67 साल है। इनका कहना है कि जब मैंने काम की शुरूआत की थी तो एक ही ट्रक था मेरे पास धीरे धीरे मेहनत करके बडी लगन के साथ काम करके मैंने खुद के चार ट्रक तैयार किए। हलांकि कुछ कठिनाईयों का सामना करना पडा लेकिन मैने हिम्मत रखी और अपनी हिम्मत और हौसले के बल पर चार ट्रक तैयार किए। इनका कहना है कि जब से जीएसटी लगी है ट्रांसपोर्टस को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड रहा है । ट्रांसपोर्टस को टोल टैक्स और इंश्योरेंस के बढने के कारण भी दिक्कत हुई है। इनके हिसाब से पहले ट्रांसपोर्टस का बढिया तरीके से चल रहा था । इनका कहना है कि जब काम की शुरूआत की थी तब इंश्योरेंस सस्ते थे और टायर के रेट भी सही थे, लेकिन अब इंश्योरेंस और टायर के रेट आसमान को छू रहे है। इनका मानना है कि डीजल के रेट बढने से भाडा तो बढना ही चाहिए। वे गाडियों में ओवरलोड को सही नही मानते है इनके हिसाब से गाडी को ओवरलोड चलाना बिल्कुल ही गलत है। अगर फैक्टरियों वाले गाडी में ओवरलोड करवाते है तो उसका भी चलान कटना चाहिए। एक सबसे बडी दिक्कत यह भी आए दिन फेस करनी पडती है हमे कि गाडियों के भाडे के लिए 6 महीने तक लटका दिया जाता है। बार बार फैक्टरियों के चक्कर लगाने पडते है। वे सरकार से चाहते है कि डीजल के रेट और गाडी के स्पेयर पार्टस में रियायत करके बढती महंगाई पर कंट्रोल करे। सरकार ने गाडियों की जो लाइफ कम कर दी है उससे बहुत नुकसान हो रहा है। एक तो गाडी की लाइफ कम कर दी ऊपर से गाडी के रेट काफी बढा दिए है , इन सब पर सरकार को ध्यान देना चाहिए।
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