इे वे बिल से कागजों की चेकिंग से काफी राहत मिली : transporter recharad

रीचारद  जी पिछले कई सालों से ट्रांसपोर्ट लाइन में है। इन्‍होंने दो ट्रको के साथ अपने काम की शुरूआत की थी।   वह ट्रक सुविधा डॉट कॉम से जुडे हुए है। उनका कहना है कि जीएसटी लगने के बाद ट्रांसपोर्ट लाइन में यह चेंज आया है कि सारा काम सिस्‍टम से होने लगा है। रीचारद जी का कहना  है कि पिछले पांच सालों में इस लाइन में यह चेंज आया है कि अब ऑनलाइन बुकिंग तथा ऑनलाइन पेमेंट हो रही है। पहले हालात यह थे कि कुछ ड्राइवर भी अपनी मनमर्जी  से ट्रकों को चलाते थे, जिससे ट्रांसपोर्ट मालिकों को काफी चिंता लगी रहती थी, लेंकिन जीपीएस की सहायता से अब ड्राइवरों व ट्रकों की आवाजाही पर नजर रखी जा सकती है। ऑनलाइन सुविधा से कहीं हद तक दो नम्‍बर के काम पर भी रोक लगी  है। समय पर पैमेंट हो जाती है। अब बैंकों में जाकर समय बर्बाद नहीं होता। रीचारद जी का कहना  है कि डीजल  के रेट बढते है तो भाडा तो बढना ही चाहिए। रीचारद जी अंडरलोड को सही मानते है। उनका कहना हे कि इससे गाड़ी की लाइफ बढती हे ओर ड्राइवर की लाइफ भी सेफ रहती हे। रीचारद जी का कहना  है कि ट्रांसपोर्ट बिजनेस में सबसे बडी दिक्‍कत यह आ रही है कि टोल टैक्‍स काफी बढ गए है। इतनी बचत नहीं  होती, जितना ट्रांसपोर्टरों को खर्चा करना पड जाता है। रोड टैक्‍स व टोल टैक्‍स के चलते ट्रांसपोर्टरों को आर्थिक नुकसान होता हे। उनका कहना है कि पुलिस भी कागजी कार्यवाही करने के नाम पर कई बार ड्राइवरों को रोकती है, जिससे माल  पहुंचने में देरी होती है। पुलिस भी ड्राइवरों से अपनी मनमर्जी की वसूली करती है। उनका कहना है कि इे वे बिल से कागजों की चेकिंग से काफी राहत मिली हे। सबसे ज्‍यादा फायदा बार्डर पर हुआ है, इससे बार्डर पर अब कागजों की चेकिंग नहीं होती हे।

 

 

 

 

 

 

 

 

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