आनॅलाइन सुविधा की वजह से पैसे के लेन देन में काफी फायदा हुआ है : transporter-vishant

विशांत  जी हिसार के रहने वाले है। वे पिछले 5 सालों से टांसपोर्ट लाइन में है। विशांत जी ने एक ट्रक से अपने काम की शुरूआत की थी फिर धीरे धीरे विशांत जी ने अपने तीन ट्रक बना लिए। विशांत जी कहते है कि इस लाइन में सक्‍सेज के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है।विशात जी ने फास्‍ट टैग पर अपने विचार रखते हुए कहां कि फास्‍ट टैग के प्रयोग से ट्रांसपोर्टस को बहुत फायदा होने वाला है। फास्‍ट को शुरू कर सरकार ने बहुत ही अच्‍छा कदम उठाया है। फास्‍ट टैग के आने से अब टोल बैरियर पर लंबी लाइनों से छुटकारा मिला है। अब गाडी टोल बैरियर से सीधा ही निकल जाती है। विशात जी ने नए मोटर व्‍हीकल एक्‍ट के बारे में बताया कि सरकार ने मोटर व्‍हीकल एक्‍ट में संशोधन कर कुछ नए नियमों को लागू किया है जिसमे चालान के रेट पहले से काफी बढा दिए है। नए मोटर व्‍हीकल एक्‍ट से ट्रांसपोट्रस लाइन में सुधार देखने को मिलेगा। चालान के रेट बढने से दुर्घना कम होगी व लोग वाहनों को आराम से चलाऐगे।। विशांत जी का कहना है कि जीएसटी लगने के बाद ट्रांसपोर्ट लाइन में ज्‍यादा फर्क नही आया है। जीएसटी लगने से टैक्‍स के पार्ट में फर्क आया है। उनका कहना है कि ई वे बिल के कारण थोडा बहुत चेंज आया है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह हुआ है कि अब गाड़ी बार्डर पर रोकनी नहीं पड़ती है क्‍योंकि बार्डर से बैरियर खत्‍म हो गए है। इससे काफी समय बच जाता है। जबकि पहले बार्डर पर कागज चेक करवाने मे कई कई घंटे लग जाते थे। विशांत का कहना है कि पिछले पांच सालों में टांसपोर्ट बिजनेस में बहुत चेंज आया हे। अब इंश्‍योरेंस के रेट बहुत बढ गए है। डीजल के रेट तो आए दिन बढ जाते है , लेकिन भाड़ा नहीं बढता है। उनका कहना है कि डीजल के रेट बढते है तो भाडा भी जरूर बढना चाहिए। उनका कहना है कि इस बिजनेस में एक तो अच्‍छेे ड्राइवर नहीं मिलते, दूसरा जो ड्राइवर मिलते है वह नगद पैमेंट की बात करते है। कई बार यह पैमेंट ट्रांसपाेर्टरों को अपनी जेब से करनी पडती है, जिसकी वजह से ट्रांसपोर्टरों को काफी आर्थिक तंगी का सामना करना पडता है। उनका कहना है कि आनॅलाइन सुविधा की वजह से उन्‍हें पैसे के लेन देन में काफी फायदा हुआ है। ईवे बिल की वजह से कागजी कार्यवाही संतुष्टि पूर्ण होती है, कई बार ऐसा होता था कि कागजी कार्यवाही में घपला या धोखाबाजी होती थी, लेंकिन अब सब ऑनलाइन होने से काफी हद तक दो नम्‍बर के कामों में कमी आई है। विशांत जी का कहना है कि गाडियों में ओवरलोड  सही नहीं है। लेकिन गाडी मालिक को मजबूरी में ओवरलोड करना पड़ता है। उनका सुझाव है कि सरकार ऐेसी पालिसी बनाए कि ओवरलोड पूरी तरह बंद हो जाए।

 

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