ऑनलाइन सुविधा से काम में तेजी आई है : transporter-umakant-shukla
ऊमा कांत शुकला जी पंजाब के लुधियाना के रहने वाले है। शुकला जी सन 2002 में ट्रांसपोर्टस लाइन में आऐ थे। दो गाडियों से ट्रांसपोर्टस का काम शुरू किया था। आज 14 गाडिया है। शुकला जी ने बताया कि मैने दिन रात काम किया। कभी भी मेहनत से पीछे नहीं हटा। इसका मुझे फल भी मिला। आज 14 गाडी है जो मेरी मेहनत का फल है। उनका कहना है कि भले ही इस लाइन में कई दिक्कते उन्हें आई, लेकिन भगवान के आर्शीवाद से उन्होंने इस बिजनेस में सफलता मिली है। ट्रांसपोर्टस के बिजनेस के ऑनलाइन होने से ट्रांसपोर्टस लाइन में काफी चेंज देखने को मिला है। ऑनलाइन सुविधा से काम में तेजी आई है। अब बैंकों की लंबी कतारों में नहीं लगना पडता। पैमेंट करने में सरलता आई है। शुकला जी ने फास्ट टैग पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि फास्ट टैग को चालू कर सरकार ने अच्छा कदम उठाया है। फास्ट टैग के आने से ट्रांसपोर्टस का काम काफी सरल हो गया है, समय की बचत हुई। जब गाडी माल लेकर जाती है तो रास्ते में कई टोल बैरियर पडते है। हर टोल बैरियर पर पांच से सात मिनट का समय लगता है। जिससे ट्रांसपोर्टस का काफी समय खराब होता था। फास्ट टैग के आने से इस समस्यां का हल निकला है। अब गाडी टोल बैरियर से सीधा निकल जायेगी। शुकला जी के विचार से मोटर व्हीकल एक्ट में चालान के रेट बढा कर ठीक काम नही किया है। एक तो गाडी वाले से पुलिस पहले ही इतनी इतनी रिश्वते ले लेते है। अब सरकार ने मोटर व्हीकल एक्ट को चालू कर चालान के रेट चार गुण बढा दिए है। भला इतना भारी भरकम चालान एक गाड़ी वाला कैसे दे पाएगा। शुकला जी ने बताया कि ई वे बिल से ट्रांसपोर्टस लाइन का काम एक नंबर में हो गया है। रास्ते में अब परेशानी नही आती है। शुकला जी गाडियों में अंडरलोड ही डालना पसंद करते है। जो उनकी गाडी को सही रखता है। शुकला जी ने बताया कि गाडियों में जीपीएस की सहायाता से गाडी पर हर समय नजर रखी जा सकती है। जीपीएस के जरिए गाडी की हर स्थित का पता रहता है कि गाडी किस स्पीड से चल रही है, कहां पर खडी है या फिर कहां पर पहुंच गई है। शुकला जी का सुझाव है कि गाडी के भाडे के रेट किलोमीटर के हिसाब से तय होने चाहिए।
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