भाडे के रेट किलोमीटर के हिसाब से तय होने चाहिए : transporter randheer singh
रणधीर सिंह जी पंजाब में संगरूर में मुराहोली गांव के रहने वाले है इनकी चार गाडियां है। एक गाडी यह अपने आप चलाते है और दो गाडियां इनके बेटे चलाते है। रणधीर सिंह जी कहते है कि आज के समय में टोल टैक्स, रोड टैक्स इंश्योरेंस के रेट इतने बढ गए है कि गाडी का खर्चा निकालना मुश्किल हो जाता है। इनका कहना है कि सरकार ने गाडियों पर 28 प्रतिशत टैक्स लगा रखा है। इनका कहना है कि सन् 2002 में गाडी डाली थी तब तो ट्रांसपोर्टस का बिजनेस अच्छा चल रहा था फिर इन्होंने सन् 2012 में फिर से आठ गाडियां डाल ली तब भी काम बढिया चल रहा था, लेकिन अब काम मंदा हो गया है। इनका कहना है कि भाडे के रेट सही नही मिलते है। ट्रांसपोर्ट लाइन में आनलाइन सिस्टम को वे अच्छा मानते है। इनका कहना है कि गाडियों में जीपीएस के लगे होने से काफी फायदे हो रहे है। कई बार ड्राइवर फोन नही उठा पाता है तो गाडी का मालिक आसानी से अपनी गाडी की लोकेशन को जीपीएस की सहायता से देख सकते है। ई वे बिल के आने से अब सेल्स टैक्स वाले परेशान नही कर सकते है । सेल्स टैक्स वाले गाडी को अब बार बार नही रोकते है। रणधीर सिंह जी गाडियों को अंडरलोड चलाना पंसद करते है । उनका कहना है कि अंडरलोड गाडी को चलाने से गाडी को किसी भी तरह से कोई परेशानी नही होती है। उनका कहना है कि इस बिजनेस में सबसे बडी दिक्कत यह आ रही है कि भाडे के रेट नही बढ रहे है। इनका सुझाव है कि सरकार को टैक्स में सुधार करना चाहिए और डीजल के रेट कम होने चाहिए । टोल टैक्स के रेट भी कम होने चाहिए। इनका सुझाव है कि भाडे के रेट किलोमीटर के हिसाब से तय होने चाहिए और ट्रांसपोर्टस के बिजनेस में से दलाल लोग हटने चाहिए।
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