ऑनलाइन की वजह से कागजी कार्यवाही आसानी हुई : transporter yashvant

लुधियाना के यशवंत जी पिछले तीन साल से ट्रांसपोर्ट लाइन में है। यशंवत जी के पास अपना कोई ट्रक नही है। यशवंत जी ब्रोकर का काम करते है। वह मोबाइल, कंप्‍यूटर व इंटरनेट का इस्‍तेमाल करते है। यशवंत जी का कहना है कि जीएसटी लगने के बाद ट्रांसपोर्ट लाइन में 20से 30 प्रतिशत ही चेंज आया है। ऑनलाइन प्रक्रिया ने काफी सहयोग किया है। ऑनलाइन की वजह से अब सभी कागजी कार्यवाही आसानी से हो जाती है। पहले कागजी कार्यवाही के नाम पर पुलिस घंटों गाडियों को रोक कर ड्राइवरों को देरी करती थी, लेंकिन अब ईवे-बिल की वजह से यह समस्‍या कुछ हद तक कम हो गई है और ड्राइवरों को देरी नहीं होती, जिससे माल समय पर पहुंच जाता है। आनलाइन पेमेंट से पैसे का लेन देन काफी सुविधापूर्ण हो गया है। अब चैक बाउंस होने जैसी समस्‍या कुछ हद तक कम हो गई है, क्‍योंकि एटीएम या पेटीएम, जैसी सुविधाओं की वजह से पैसे का लेन देन कहीं भी और कभी भी किया जा सकता है। इसके साथ ही जीपीएस की सुविधा की वजह से ट्रांसपोर्टरों को काफी राहत मिली है। क्‍योंकि पहले ड्राइवर झूठ बोलकर गाडियों को अपनी मनमर्जी से चलाते थे, लेंकिन जीपीएस की सुविधा से ट्रांसपोर्टर दूर रहकर भी अपनी गाडियों पर नजर रख सकते है। यशवंत जी का कहना है कि यदि डीजल के रेट बढते है तो भाडा तो बढना ही चाहिए। उनका कहना है कि अंडरलोड सही है। क्‍योंकि अंडरलोड की वजह से ड्राइवर की सुरक्षा बनी रहती है।  सडकों पर जाम नहीं लगता। कई बार ओवरलोड वाहनों की वजह से कई भयानक हादसे हो जाते है। ड्राइवर के साथ-साथ अन्‍य वाहन चालक भी हादसों का शिकार हो जाते है।  कई बार इन हादसों से लोगों की जान तक चली जाती है। यशवंत जी का कहना है कि ट्रांसपोर्ट बिजनेस में सबसे बडी दिक्‍कत अच्‍छे ड्राइवरों की है। बढिया ड्राइवर नही मिल पाते है।

 

 

 

 

 

 

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