रोड पर चलने के लिए रोड टैक्‍स है तो टोल टैक्‍स क्‍यों : transpoorter-tarsem-singh

तरसेम सिंह जी पंजाब  में डेराबस्‍सी के रहने वाले है। इन्‍होंने तीन ट्रकों के साथ ट्रांसपोर्टस का काम शुरू किया था। इनका कहना है कि जब काम शुरू किया था तब काम बढिया चल रहा था। अब इस काम में कुछ मंदी आई है।  वे कहते है कि आज ट्रांसपोर्टस बिजनेस ऑनलाइन हो रहा है। ऑनलाइन सिस्‍टम से इस बिजनेस को काफी फायदा है। ई वे बिल से इस लाइन की बल्‍ले बल्‍ले हो गई है। ई वे बिल के आने से टाइम बचने लगा है। अब  गाडी समय  से माल पहुंचाकर वापिस आ जाती है। अब गाडी को बार्डर पर चैक करवाने के लिए बार बार रूकना नही पडता है। वे कहते है कि गाडि़यों में जीपीएस लग जाने से गाड़ी मालिक की टेंशन दूर हो गई है। गाड़ी देश के किसी कोने में भी हो, गाड़ी मालिक पता कर सकता है कि गाड़ी कहां पर है। जीपीएस से ये भी पता चल जाता है कि गाड़़ी किस स्‍पीड से चल रही है। इनका कहना है कि गाडी को अंडरलोड चलाना सबसे बेस्‍ट है क्‍योंकि गाडी को अंडरलोड चलाने से गाडी को नुकसान नही होता है। गाडी की रिपेयर पर कम खर्चा होता है । अंडरलोड गाडी चलाने से गाडी डीजल ज्‍यादा नही  पीती है। वे कहते है कि इस बिजनेस में सबसे बडी दिक्‍कत यह आ रही है कि डीजल के रेट काफी बढ गए है। इनका सुझाव है कि  सरकार को ट्रांसपोर्ट लाइन पर ध्‍यान देना चाहिए। सरकार एक टैक्‍स की बात करती है, लेकिन ट्रांसपोर्ट लाइन में एक टैक्‍स दो तरह से लिया जा रहा है। ट्रांसपोर्टर रोड टैक्‍स देते है फिर भी उन्‍हें टोल टैक्‍स भी देना पड़ता है। टोल टैक्‍स भी तो रोड पर चलने के लिए लिया जाता है। फिर ट्रांसपोर्टर्स से टोल टैक्‍स क्‍यों लिया जाता है। उनका कहना है कि अगर ट्रांसपोर्टर्स की यूनियन मजबूत हो तो वे अपनी आवाज उठा सकते है।

 

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