बिना कागज और परमिट के गाडियां चलनी ही नही चाहिए : transporter-ravinder-singh

रविन्‍द्र सिंह जी पंजाब के डेराबसी के रहने वाले है। इन्‍होंने 1991 से ट्रांसपोर्टस के बिजनेस की शुरूआत की थी। जब इन्‍होंने ट्रांसपोर्टस के बिजनेस की शुरूआत की थी तब इनके पास एक भी गाडी नही थी । आज इनके पास खुद की 6 से 7 गाडियां  है। इनका कहना है कि आज ट्रांसपोर्टस बिजनेस ऑनलाइन हो रहा है , ऑनलाइन सिस्‍टम से फायदा तो होगा ही। इनका कहना है कि ऑनलाइन सिस्‍टम में कुछ झोला छाप ट्रांसपोर्टस इस बिजनेस को ठप कर रहे है वाे इस तरह से वो भाडे का रेट खुद तय कर के गाडी क मालिक को कम करे बताते है। दलाल लोग ट्रांसपोर्टस का काम बढने नही देते है। पुलिस वाले और आरटीओ वाले भी इस काम को बढन नही देते है। ट्रांसपोर्टस की आधी कमाई तो इन लोगो के हाथ में जाती है। पंजाब में डेराबस्‍सी की ट्रक यूनियन में जहां 1500 गाडी ट्रांसपोर्टस का काम करती थी आज घट के 900 हो गई है। जीएसटी लगने से भाडे के रेट काफी कम हो गए है। इनका कहना है कि ई वे बिल का नुकासान है कि ई वे बिल की टाईम लिमिट दी गई है अगर माल टाईम लिमिट की तारीख तक न पहुंचे तो माल सेल टैक्‍स वाले पकड लेते है, जिसका भारी जुर्माना पडता है । इनका कहना है कि रास्‍ते में गाडी खराब हो सकती है टैफिक बढ सकती है , कोई भी रिर्जन हो सकता है तो यह टाईम लिमिट नही होनी चाहिए ई वे बिल की क्‍योंकि काम तो ड्राइवर लोगो ने करना होता है , वे पढे लिखे तो होते नही इस लिए उन्‍हे यह समझ नही होती कि कब तक माल पहुंचना चाहिए। रविन्‍द्र सिंह जी अंडरलोड को सही मानते है। उनका कहना है कि अंडरलोड गाडी चलाने से गाडी को काफी फायदा होता है। इनका सुझाव है कि बिना कागज और परमिट के गाडियां चलनी ही नही चाहिए। 15 से 20 साल के बाद सरकार को गाडी का एक्‍सपायर घोषित कर देना चाहिए। इनका कहना है कि जनसंख्‍या कम होनी चाहिए जनसंख्‍या की वृद्धि से हमारे देश की कमाई का पता ही नही चलता है।

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