पांच सालों में ट्रांसपोर्ट लाइन मेें काफी बदलाव आया : transporter-nanak-singh

नानक सिंह जी पंजाब में डेराबसी के रहने वाले है। इन्‍हे इस लाइन में काम करते हुए 15 साल हो गए है। इन्‍होंने दो गाडियों के साथ ट्रांसपोर्टस का बिजनेस शुरू किया था। आज भी इनके पास दो ही गाडियां है खुद की। इन्‍हें ट्रांसपोर्ट लाइन का लंबा अनुभव है नानक जी का कहना है कि उन्‍होंने इस लाइन में बहुत उताव चढाव देखे है। लेकिन पिछले पांच सालों में ट्रांसपोर्ट लाइन में जितना बदलाव आया है, उतना पहले कभी नहीं आया। ट्रांसपोर्ट लाइन अब आनलाइन हो गई है। हर काम यहां आनलाइन होने लगा है। कागज बनवाने हो तो वो आनलाइन बन जाते है। गाड़ी में तेल भी अब आनलाइन पड़ रहा है।इनका कहना है कि ई वे बिल के आने से व्‍यपारी लोगो को बहुत फायदा हुआ है, ट्रांसपोर्टर्स को तो ई वे बिल के आने से फायदा यह हुआ है कि अब बार्डर से बैरियर हट गए है। इससे समय बच जाता है और ड्रांइवर को आराम करने का वक्‍त मिल जाता है।। नानक सिंह जी कहते है कि वे गाडी में ओवरलोड नही डालते है , लेकिन कभी कभी मजबूरी में डालना पड़ता है । जब गाडी का खर्चा पूरा नही होता तो गाडी का खर्चा पूरा करने के लिए डाल लेते है ओवरलोड । उनका कहना है कि इस बिजनेस में सबसे बडी दिक्‍कत यह आ रही है कि भाडे के रेट नही मिलते है। गाडियों की संख्‍या के बढने से माल नही मिल पाता  है। गाडी के इंश्‍योरेंस के रेट बहुत बढ गए है। उनका कहना है कि जीपीएस से ट्रांसपोर्ट लाइन को जरूर फायदा हो रहा है। गाड़ी वाले की सबसे बड़ी दिक्‍कत यही थी कि उसे गाड़ी की चिंता लगी रहती थी, जीपीएस ने उसकी यह चिंता दूर कर दी है। अब गाड़ी की लोकेशन के साथ साथ उसकी स्‍पीड भी चेक की जा सकती है।

 

 

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