बड़ी और छाेटी गाडि़यों पर अलग अलग होना चाहिए टोल टेक्‍स : transporter-mohinder

मोहिन्‍द्र जी टांसपोर्ट लाइन में पिछले आठ सालों से है। इन्‍होंने एक ट्रक से टांसपोर्ट लाइन में काम शुरू किया था और आज तीन ट्रकों के मा‍लिक बने है। उनका मानना है कि इन आठ वर्षो का सफर काफी संघर्ष भरा रहा है कई बार घाटा व कई बार फायदा हुआ। जब काम डाउन था तो उन्‍होंने हार नहीं मानी और दिन रात मेहनत करते रहे। इसी कारण वह टांसपोर्ट लाइन में सफल हुए है। मोहिन्‍द्र जी अपने बिजनेस से जुडे रहने व अपने बिजनेस में ओर सफलता पाने के लिए मोबाइल फोन का प्रयोग करते है, क्‍योंकि अब आनलाइन सुविधा के चलते वह अपने बिजनेस से जुडी अनेकों प्रकार की जानकारिया व मार्किट में डीजल के घटते बढते दामों की सूचना भी मोबाइल पर प्राप्‍त कर सकते है। जीपीएस की सुविधा की वजह से वह अपनी गाडियों को कही पर भी रहकर चेक कर सकते है।  ट्रांसपोर्टर को सबसे बड़ी चिंता अपी गाड़ी की होती है, जीपीएस ने इस दिक्‍कत को दूर कर दिया है। उनका कहना है आनलाइन सिस्‍टम के कारण ट्रांसपोर्ट लाइन में दो नंबर के काम कम हुए हे। मोहिन्‍द्र जी का कहना है कि इस बिजनेस में मार्च महीने में ज्‍यादा दिक्‍कत आती है। मार्च महीने में मार्केट डाउन हो जाती है। इन दिनों गाडियों का काम रूक जाता है। कंपनी और टार्सपोर्टस वालों में कंपीटीशन बढ जाता है। कंपनी वाले भी फोन करके पता कर लेते है कि कौन सस्‍ते में गाडी लोड कर ले जाता है उसी को बुक करते है इससे रेट डाउन हो जाते है। मोहिन्‍द्र जी का कहना है कि छोटी गाडियों का भी वही टोल टैक्‍स है जो बडी गाडियों का काटते है। उनका कहना है कि गाडी के हिसाब से टोल टैक्‍स काटना चाहिए। हालांकि  बडी व छोटी गाडी पर समान टैक्‍स लेने के कारण हड़ताल भी की जा चुकी है, लेंकिन हालात नहीं सुधरे।

 

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