ट्रांसपोर्टर्स में कमाई देखकर लोग इस लाइन में आने लगे : transporter-balveer-singh

बलवीर सिंह जी पंजाब में डेराबसी के रहने वाले है। इन्‍होंने सन् 1989 में ट्रांसपोट्रस लाइन की शुरूआत की थी। आज इनके पास खुद की एक गाडी है।बलबीर सिंह जी का कहना है कि पहले इस लाइन में बहुत कम लोेग आते थे,क्‍योंकि इसमें मेहनत बहुत करनी पड़ती थी। इस बिजनेस की कमाई देखकर काफी लोग इस लाइन में आने लगे। जब ट्रक ज्‍यादा हो गए तो कम्‍प्‍टीशन होने लगा, इस कारण माल मिलना मुश्किल हो गया। उनका कहना है कि ट्रांसपोर्ट लाइन में भाड़ा न बढने की एक वजह यह भी है कि मार्केट में गाडि़या बहुत ज्‍यादा है, दूसरे ट्रांसपोर्टस की यूनियन मजबूत नहीं है। अगर यूनियन में यूनिटी हो तो भाड़े के रेट बढ सकते है। लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हो पाया है। बलबीर जी का कहना है कि पहले के मुकाबले अब ट्रांसपोर्ट लाइन में काफी चेंज आ गया है। अब तो ओनलाइन का जमाना है। ट्रांसपोर्ट लाइन में हर काम आनलाइन हो रहा है। माल भी आनलाइन मिल रहा है, गाडि़यों के कागज आनलाइन बन रहे है। गाड़ी में जीपीएस लगने से गाड़ी मालिक की आधी टेंशन दूर हो गई है। उनका कहना है कि अब इस बिजनेस में खर्चे काफी बढ गए है। गाडियों के इंश्‍योरेंस के रेट इतने बढा रखे है कि गाडी का इंश्‍योरेंस और बाकि खर्चो को ध्‍यान में रखे तो गाडी का खर्चा निकालना मुश्‍किल हो जाता है। डीजल के रेट, गाडी के टायर और स्‍पेयर पार्टस इतने मंहगे है कि गाडी को कुछ बचता नहीं है। इनका कहना है कि सरकार हम लोगो से रोड टैक्‍स भी ले रही है और टोल टैक्‍स भी ले रही है। गाडी के पेपर पूरे होने के बावजूद भी पुलिस और आरटीओ वाले गाडी वाले से पैसे ले लेते है। इनका सुझाव है कि सरकार गाडी वालो से या तो रोड टैक्‍स ले या फिर टोल टैक्‍स ले।

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