Transporter लाइन में पूरी तरह Digital है ट्रांसपोर्टर विकास गोयल

*विकास का कहना है कि किलोमीटर के हिसाब से तय होना चाहिए भाडा

ट्रांसपोर्टर विकास उन ट्रांसपोर्टर्स में से है जो इस लाइन में पूरी तरह डिजिटल है। मोबाइल केसाथ साथ वे कंप्‍यूटर और इंटरनेट भी यूज करते है। साथ ही आनलाइन सिस्‍टम से माल लोड करवाते है। ट्रक सुविधा के साथ बात करते हुए उन्‍होंने इस लाइन की बेहतरी के लिए कुछ सुझाव भी दिए।  विकास गोयल चार सालों से ट्रांसपोर्ट लाइन में काम कर रहे है। वे कमीशन के बेस पर काम करते है।  इनका मानना है कि जीएसटी से पहले और जीएसटी के बाद ट्रांसपोर्ट लाइन में कोई खास काम नही बढा है। पहले भी काम एवरेज में था और अब भी काम एवरेज में ही चल रहा है। हां, एक फायदा जरूर हुआ है इस लाइन में। पहले काम ऑनलाइन नही होते  थे और अब ज्‍यादातर काम ऑनलाइन हो गए है। इससे समय तो बचता ही है। साथ ही पैसे की भी बचत होती है।
उनका कहना है कि इस बिजनेस में खर्चे काफी बढ गए है। पहले जितनी इंकम होती है, उतनीअब नहीं हो पाती। रोड टैक्‍स के साथ साथ टोल टैक्‍स भी देना पडता है, जो गलत है। दोनों में से एक टैक्‍स ही होना चाहिए। आए दिन डीजल के रेट बढ जाते है, इसका नुक्‍सान ट्रांसपोर्टर को ही झेलना पडता है। विकास कहत है कि डीजल के रेट बढने पर भाडा भी बढना ही चाहिए। विकास  कहते है कि गाडियो में ओवरलोड नहीं होना चाहिए। इससे कुछ पैसे तो मिल जाते है, लेकिन उतना गाडी की मेनटेनेंस पर खर्च हो जाता है। ट्रांसपोर्ट लाइन की दिक्‍कतों के बारे में विकास का कहना है कि माल मिलने में परेशाानी तो होती है। साथ ही freight को लेकर भी दिक्‍कत आती है। इनका कहना है कि डीजल के रेट और भाडे के रेट को ध्‍यान में रख कर पर किलोमीटर के हिसाब से भाडे का रेट तय होना चाहिए। इससे ट्रांसपाेर्टर को थोडी राहत मिलेगी।

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