आनलाइन कंपनियाें की वजह से माल न मिलने की दिक्‍क्‍त खत्‍म हो गई : transporter-harsevak-singh

हरसेवक सिंह जी पंजाब के राजपुरा के रहने वाले है। इनका कहना है कि इन्‍होंने एक ट्रक के साथ ट्रांसपोर्टस बिजनेस की शुरूआत की थी। इनका कहना है कि इन्‍होंने बडी मेहनत करके एक गाडी से चार गाडियां तैयार की। इनका कहना है कि इन्‍होंने खुद गाडी ड्राइव करके और यूनियन से जुड कर इस काम में सक्‍सेज हुए। इनका कहना है कि नोटबंदी के बाद ट्रांसपोर्टस बिजनेस मंदा हो गया है। इनका कहना है कि अब यह बिजनेस ऑनलाइन हो रहा है। ऑनलाइन होने से इस बिजनेस में  काफी चेंज आ गया है। इससे समय और पैसा दोनों बच रहे है। अब आनलाइन माल मिल रहा है। इससे ब्रोकर का झंझट खत्‍म हो गया है। आनलाइन कंपनियाें की वजह से माल न मिलने की दिक्‍क्‍त खत्‍म हो गई है। इनका कहना है कि ई वे बिल का इस लाइन में कुछ हद तक तो फायदा देखने को मिला है अब बार्डर पर गाडी को रूकना नही पडता बार बार जिससे गाडी समय पर पहुंच जाती है। इनका कहना है कि गाडी में ओवरलोड नही होना चाहिए ओवर लोड गाडी चलाने से गाडी को नुकसान होता है और ड्राइवर की जान का खतरा बनना रहता है। इस बिजनेस में सबसे बडी दिक्‍कत है कि अच्‍छे ड्राइवर नहीं मिलते है। हर चीज के रेट बढ गए है। डीजल महंगे हो गए है। टैक्‍स और ट्रोल टैक्‍स काफी बढ गए है। गाडी के इंश्‍योरेंस काफी बढ गए है। इनका कहना है कि भाडे के रेट पर किलो मीटर के हिसाब से तय होने चाहिए और इंश्‍योरेंस के रेट कम होने चाहिए। सरकार को टोल टेक्‍स और रोड टैक्‍स में से एक टेक्‍स ही लेना चाहिए।जब रोड टैक्‍स लिया जाता है तो टोल टैक्‍स तो बिल्‍कुल भी नहीं लेना चाहिए।

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