सरकार ट्रांसपोर्ट लाइन की दिक्‍क्‍तों की ओर ध्‍यान दें : transporter-ashvani-goel

अश्‍वनी गोयल पंजा‍ब के पटियाला के रहने वाले है। इनके पास 14 चक्‍के और 22 चक्‍के वाली गाडि़यां है। जब इन्‍होंने काम की शुरूआत की थी तब इनके पास खुद की एक ही गाडी थी लेकिन इन्‍होंने कडी मेहनत करके सात गाडियां तैयार की। इनका कहना है कि जब से काम की शुरूआत की और अब तक भाड़े में कुछ चेंज देखने को नही मिला है। अब भी भाड़ा पुराने वाला ही है। इनका कहना है कि अब ट्रांसपोर्ट बिजनेस ऑनलाइन हो रहा है। आनलाइन सिस्‍टम से इस लाइन को फायदा हो रहा है। हर काम आनलाइन हो जाता है। गाड़ी के लिए माल चाहिए तो आनलाइन मिल जाता है। गाड़ी के कागज बनवाने हो तो आनलाइन बन जाते है। गाड़ी में तेल भी आनलाइन डल जाता है। ई वे बिल का भी फायदा हो रहा है । अब बार्डर पर गाडी ज्‍यादा समय के लिए नही रूकती, ई वे बिल हो तो गाडी को जाने दिया जाता है बार्डर से, इससे समय बच जाता है। इस लाइन में खर्चे बढने के कारण कमाई पर असर पड़ा है। इस बिजनेस से सरकार को लाखोे करोड़ों रुपए टैक्‍स मिलता है, लेकिन सरकार इस बिजनेस की दिक्‍कतों की ओर ध्‍यान नहीं देती है। इनका कहना है कि गाडियों में ओवलोड होने से गाडी को भी नुकसान होता है और गाडी के टायर घिस जाते है और रोड को भी नुकसान होता है । ओवरलोड गाडियों के चलने से रोड भी जल्‍दी टूट जाते है। इनका कहना है कि इस लाइन में टेंड ड्राइवर मुश्किल से मिलते है। अगर ड्राइवर अच्‍छे मिल जाए तो काम बढिया चलता है।  इनकी सरकार से मांग है कि सरकार इस बिजनेस की ओर ध्‍यान दें और डीजल, टोल टैक्‍स और इंश्‍योरेंस के रेट कम होने चाहिए ।

You may also like...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *