ट्रांसपोर्टर सचिन ने सात साल की मेहनत से बनाए 15 ट्रक

*ट्रांसपोर्टर सचिन मानते है कि इस बिजनेस में मेहनत करने पर जरूर मिलेगी कामयाबी

ट्रांसपोर्टर सचिन ने इस बिजनेस में अपनी मेहनत से सफलता हासिल की है। जब वे इस लाइन में आए थे तो इनके पास एक भी ट्रक नहीं था। इन्‍होंने दिन रात कडी मेहनत की और पैसे जोडकर एक ट्रक खरीदा। सचिन की सात सालों की मेहनत का ही नतीजा है कि आज उनके पास अपने 15 ट्रक है। सचिन मानते है कि इस लाइन में अगर मेहनत की जाए तो कामयाबी जरूर मिलेगी। सचिन ट्रांसपोर्ट बिजनेस में online के बढते चलन को सही मानते है। उनका कहना है कि online system से काम आसान हो गया है। सचिन का मानना है कि जीएसटी के बाद मार्किट में  काम पहले से थोडा कम हुआ है। क्‍योंकि कई छोटी इंडस्‍ट्री बंद हो गई है। उन्‍हें उम्‍मीद है कि इसका असर ज्‍यादा समय तक नहीं रहेगा। सचिन का कहना है कि इस बिजनेस मेंं खर्चे काफी बढ गए है। लेकिन भाडा उतना नहीं बढा है। टा्रसंपोर्ट लाइन मेें टैक्‍स भी काफी बढ गए है। अब तो जगह जगह टोल टैक्‍स देना पडता है, जबकि रोड टैक्‍स भी लिया जाता है। जब सरकार रोड टैक्‍स लेती है तो टोल टैक्‍स नहीं होना चाहिए। या फिर टोल टैक्‍स में थोडी रियायत होनी चाहिए। सचिन गाडियों मे ओवरलोड को गलत मानते है। उनका कहना है कि गाडी के ओवरलोड होने से एक्‍सीउेंअ का खतरा अधिक रहता है। ओवरलोड होने से गाडी और टायर की लाइफ भी कम होती है। सचिन का कहना है कि अब गाडियों को रास्‍ते में जगह जगह पेपर चेक करवाने के लिए नहीं रुकना पडता। इससे समय बच जाता है और माल भी जल्‍दी पहुंच रहा है। वे कहते है कि अब सडकें भी पहले से अच्‍छी हो गई है। इससे गाडी की मेनटेनेंस पर खर्च कम होता है। ट्रांसपोर्ट बिजनेस में दिक्‍कते के बारे में उनका कहना है कि इस लाइन में अच्‍छा और ट्रेंड स्‍टाफ नहीं मिलता है। सरकार को ऐसे ट्रेनिंग इंस्‍टीटयूट खोलने चाहिए, जहां से ट्रेनिंग लेकर युवा ट्रांसपोर्ट बिजेनस में आए।

 

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