पाल्‍यूशन फैलाने वाली गाडी की लाइफ दस साल के बाद खत्‍म कर देनी चाहिए : ।transporter-tejpal-singh

तेजपाल सिंह जी पंजाब में डेराबस्‍सी के रहने वाले है।  इन्‍होंने दो गाडियों के साथ ट्रांसपोर्टस का काम शुरू किया था । इनको इस लाइन में आए हुए तीस साल हो गए है। तेजपाल जी कहते है कि आज ट्रांसपोर्टस बिजनेस ऑनलाइन हो रहा है। ऑनलाइन सिस्‍टम से इस लाइन को काफी फायदा है। गाडियों में जीपीएस लगे होने से हमे गाडी की लोकेशन का पता रहता है। ई वे बिल का भी ट्रांसपोर्टस लाइन को काफी फायदा हो रहा है। लेकिन इससे नुकसान यह है कि ई वे बिल की तारीख खत्‍म होने पर सेल टैक्‍स वाले तंग करते है । जो लोग पढे लिखे नहीं है, उन्‍हें ई वे बिल के बारे में ठीक से पता नहीं हाेता इसलिए उन्‍हें दिक्‍कत हो रही है। ये जरूर है कि ई वे बिल के आने से ट्रांसपोर्टस लाइन मे अब समय की बचत हो जाती है । अब बार्डर पर घंटो खड़ा नहीं रहना पड़ता।   गाडीइ को अंडरलोड चलाना ही पंसद करते है। अंडरलोड गाडी चलाने से गाडी की मेनटेनेंस बनी रहती है। वे कहते है कि इस बिजनेस की सबसे बडी दिक्‍कत यह है कि भाडे के रेट सही नही मिलते है। उन्‍होंने बताया कि कि जब हम ने काम की शुरूआत की थी तब डीजल के रेट 3 रू था। आज डीेजल का रेट 76 रूपए है। मंहगाई तो बढती है लेकिन भाडे के रेट नही बढते है। इस बिजनेस में सबसे बडी दिक्‍कत यह आ रही है कि भाडे के रेट बढते नही है। इनका कहना है कि आज इस बिजनेस में सबसे बडी दिक्‍कत यह आ रही है कि गाडी के लिए अच्‍छे ड्राइवर नही मिल रहे है। आज गाडी के इंश्‍योरेंस इतने बढ गए है। इनका सुझाव है कि सरकार को कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे लोग ड्राइवर लोगो को भी इज्‍जत दे। सरकार को ऐसा रूल बनाना चाहिए जिससे ट्रांसपोर्टस का सारा काम अंडरलोड गाडी चलाकर ही होना चाहिए अगर कोई व्‍यक्ति गाडी को ओवरलोड चलाता है तो उसकी गाडी को जब्‍त कर लेना चाहिए। टैक्‍स के रेट टन के हिसाब से तय होने चाहिए। जो गाडी पाल्‍यूशन फैलाती है उस गाडी की लाइफ दस साल के बाद खत्‍म कर देनी चाहिए।

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