ट्रांसपोर्ट यूनियन होनी चाहिए जो ट्रांसपोर्ट की दिक्‍कतों को सरकार तक पहुंचा सके : transporter-sachin

सचिन जी मलोट के रहने वाले है। इन्‍होंने एक गाडी के साथ ट्रांसपोर्टस के काम की शुरूआत की थी। इनका कहना है कि ट्रांसपोर्ट काम में अगर ड्राइवर बढिया मिले तो काम बढिया चलेगा, लेकिन अगर ड्राइवर अच्‍छा नहीं है तो काम करना मुश्किल है। गाड़ी को ड्राइवर ने ही चलाना हे। अगर ड्राइवर एक्‍सीडेंट न करें, गाड़ी को सही तरीके से चलाए तो प्रोफिट तो होगा ही। उनका मानना है कि आनालाइन सिस्‍टम से इस लाइन को बहुत फायदा हुआ है। इससे काम आसान हो गया है। अब माल आानलाइन मिल रहा है। लेकिन ऑनलाइन सिस्‍टम का अनपढ लोगों को कोई फायदा नही हो रहा है क्‍योंकि ड्राइवर लोग ज्‍यादा पढे लिखे नही होता है पढे लिखे न होने की वजह से ऑनलाइन सिस्‍टम का प्रयोग करना नही जानते है जिससे कि ऑनलाइन सिस्‍टम का फायदा नही उठा सकते है। वे कहते है कि ई वे बिल का भी फायदा हुआ है। ई वे बिल के आने से ट्रांसपोर्ट का काम एक नंबर मे हो गया  है। पहले गाडियों को बार्डर पर पेपर बनवाने के लिए दो-दो दिन तक रूकना पडता था अब बार्डर पर यह समस्‍या खत्‍म हुई है। वे अपनी गाडियों में ओवरलोड चलाना पंसद नही करते । इनका कहना है कि ओवरलोड होने से गाडी में अनहोनी होने का खतरा बना रहता है और गाडी सैफ भी नही होती है। इनका कहना है कि इस बिजनेस में सबसे ज्‍यादा दिक्‍कत तो अच्‍छे ड्राइवर न मिलने की वजह से आ रही है। इनका सुझाव  है कि फिक्‍स खर्चो को ध्‍यान में रखकर और ड्राइवरो की तनखवाह को ध्‍यान में रख कर भाडे के रेट तय करने चाहिए। इनका कहना है कि कंपनियों के साथ बढिया संबध होने चाहिए  ताकि हर महीने गाडी को माल मिल सके। इसके अलावा ट्रांसपोर्ट यूनियन होनी चाहिए जो ट्रांसपोर्ट की दिक्‍कतों को सरकार तक पहुंचा सके।

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