ट्रांसपोर्ट लाइन को टैक्‍स में राहत दें सरकार : transporter-naresh-kumar

नरेश कुमार  डेराबस्‍सी के रहने वाले है। जब ट्रांसपोर्टस का काम शुरू किया था तब एक गाडी थी आज इनके पास खुद की चार गाडियां है। नरेशा जी कहते है कि इस बिजनेस में मेहनत है तो पैसा भी है। काम अच्‍छा चलता रहे ताे कमाई ही कमाई है। कभी कभी काम डाउन भी हो जाता है तो हिम्‍म्‍त नहीं हारनी चाहिए। नरेश जी कहते है कि आनलाइन सिस्‍टम ने इस लाइन को बूल दिया है। जीपीएस का गाडियों में लगने से यह फायदा हुआ है कि गाडी का पता रहता है कि गाडी कहां पर खडी है जीपीएस के जरिए गाडी के मालिक को गाडी की लोकेशन का पता चल जाता है और माल लेने  वाली कंपनी को भी पता रहता है कि उनका माल कहा तक पहुंच गया है। जीपीएस के गाडी में लगने से गाडी अब ड्राइवर लोग मालिक के साथ झूठ नही बोल सकते है कि गाडी कहां पर खडी है और ड्राइवर झूठ बोलकर गाडी को ईधर से उधर नही ले के जा सकते है। ई वे बिल का ट्रांसपोर्टस लाइन को यह फायदा हुआ कि अब समय बच जाता है पहले बार्डर पर गाडी को काफी समय लग जाता था पेपर चैक करवाने के लिए अब यह सिस्‍टम खत्‍म हो गया है जिससे समय की बचत हो गई है। नरेश जी गाडियों में ओवरलोड के खिलाफ है । वे कहते है कि इस बिजनेस में दिक्‍कत यह आ रही है कि गाडी के लिए माल नही मिल रहा है । काफी दिन तक गाडी खाली खडी रहती है, मार्केट में माल नही है। इनका कहना  है कि इंडस्‍टी के बंद होने से काम में मंदी आ गई है। जीएसटी के आने से इस काम पर बहुत असर पडा है। टोल टैक्‍स बहुत ज्‍यादा ह, रोड टैक्‍स भी देना पड़ता है। उनका सुझाव है कि सरकार इन चीजो पर ध्‍यान दे और ट्रांसपोर्ट लाइन को टैक्‍स में राहत दें।

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