ओवरलोड पर पक्की रोक लगें, टोल टैक्स भी कम हो : transporter-suresh
सुरेश जी हरियाण में भिवानी के रहने वाले है। इन्होंने एक गाडी के साथ ट्रांसपोर्टस के काम की शुरूआत की थी अब इनके पास खुद की 50 गाडियां है। इनका ट्रांसपोर्टस का बिजनेस ठीक चल रहा है । इनका कहना है कि किसी भी तरह के बिजनेस में अप एंड डाऊन आते ही रहते है। अपनी काम पर फाेकस रख कर अपने काम को बढाने की कोशिश करते रहना चाहिए। सुरेश जी बताते है कि जब से ट्रांसपोर्टस लाइन की शुरूआत की है तब से लेकर अब तक यह चेंज देखने को मिला है कि अब खर्चे काफी बढे है गाडियों के। टोल टैक्स और इंश्योरेंस के रेट भी बढते जा रहे है। आज के समय में खर्चा ज्यादा है और बचत कम है। आज ट्रांसपोर्टस बिजनेस ऑनलाइन हो रहा है इनका कहना है कि इस बिजनेस के ऑनलाइन होने से इस बिजनेस को काफी फायदा हो रहा है। आज के दौर में ऑनलाइन शॅपिंग का भी बहुत दौर चल रहा है । इनका कहना है कि पहले लोग ऑनलाइन शॅपिंग करने में से भी बहुत डरते थे , लेकिन आज के समय में ऑनलाइन शॅपिंग का ट्रेंड बन गया है । इसी प्रकार ऑनलाइन ट्रांसपोर्टस का काम भी बढिया चलने लगेगा। ट्रांसपोर्टस के बिजनेस के ऑनलाइन होने से काफी फायदा होगा ट्रांसपोर्टस के बिजनेस को । अब गाडियों में जीपीएस के लगे होने से गाडी की लोकेशन का पता रहता है। गाडी की लोकेशन को आसनी से कही भी किसी भी समय चैक कर सकते है। ई वे बिल के आने ट्रांसपोर्टस का काम एक नंबर मे हो गया है। बार्डर से बैरियर के उठने से भी काफी फायदा हुआ है ट्रांसपोर्टस लाइन को। इनका कहना है कि वे गाडियों को अंडरलोड चलाना ही पंसद करते है। गाडियों को अंडरलोड चलाना ही सही रहता है , अंडरलोड गाडी चलाने से गाडी काे किसी भी तरह की कोई परेशानी नही होती है। इनका कहना है कि इस बिजनेस में सबसे बडी दिक्कत तो यह आ रही है कि भाडे के रेट पूरे नही मिलते है। सरकार ने बोला था कि हर 100 किलोमीटर के बाद टोल आऐगा लेकिन ऐसा कुछ नही है । जगह जगह टोल बने हुए है । टोल टैक्स काफी है, ऊपर से रोड टैक्स भी देना पड़ता है। इस बिजनेस में यह भी समस्या भी है कि ड्राइवरों की कमी है और कंपटीशन काफी बढ गया है। इनका सुझाव है कि डीजल के रेट कम होने चाहिए ओवरलोड पर पक्की रोक लगनी चाहिए। साथ ही टोल टैक्स भी कम होना चाहिए, इससे बिजनेस बढेगा।
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