transporter-inderpreet-singh ने खुद की 30 गाडि़यां बनाई

इंदरप्रीत सिंह जी पंजाब के जलांधर के रहने वाले है । इन्‍होंने तीन गाडियों से ट्रांसपोर्ट लाइन में काम शुरू किया और आज इनकी खुद की 30 गाडि़यां है। इंदरप्रीत  ने बताया कि उनका काम अच्‍छा चल रहा है। मैने जाॅब से कैरियर स्‍टार्ट किया था। जॉब को छोडकर गाडियां बनानी शुरू की धीरे धीरे गाडियों का काम अच्‍छा चलने लगा और धीरे धीरे इस लाइन में कामयाबी मिलती रही। उनका कहना है कि इस बिजनेस में वो ही सक्‍सेज होेते है जो एक्‍सपीरियंस के बाद इस लाइन में आते है। कुछ इंसान इस लाइन में बिना अनुभव के आकर इस काम को पूरी तरह से बिगाड देते है, वे  माकेट में भाडे के रेट नही बढने देते है।उनका कहना है कि ट्रांसपोर्टस का काम  बढिया काम है। इस काम में बहुत तरक्‍की है। आज ट्रांसपोर्टस का बिजनेस ऑनलाइन हो गया है इस बिजनेस के ऑनलाइन होने से ट्रांसपोर्टस लाइन को फायदा भी है और नुकसान भी हो रहा है। आनलाइन कंपनी की जानकारी न होने की वजह से जल्‍दी से कंपनी पर विश्‍वास करने का मन नही करता है। उनका कहना है कि ई वे बिल के आने से ट्रांसपोर्टस लाइन में टाईम की परेशानी  खत्‍म हुई है । अब गाडी समय से माल लेकर पहुंच जाती है। वे गाडियों को अंडरलोड चलाना ही पंसद करते है ओवरलोड डालने से गाडी को भी नुकसान होता है। इंदरप्रीत सिंह कहते है कि सरकार कह रही है कि देश को डिजिटल बनाना है लेकिन ट्रांसपोर्टस के काम में हाथ में कैश का होना बहुत जरूरी है।  कम से कम 8 से 10 साल का टाईम लगेगा कैश लेस इंडिया बनाने में। इनका सुझाव है कि सरकार को ट्रांसपोर्टस लाइन में एक रूल बनाना चाहिए कि ट्रांसपोर्टस का काम खोलने के लिए पहले रजिस्‍ट्रेशन करवाना चाहिए। बिना रजिस्‍ट्रेशन के कोई भी व्‍यक्ति ट्रांसपोर्टस का काम ना खोल सके। इंदरजीत सिंह का सुझाव दिया कि ट्रांसपोट्रस लाइन में उन्‍ही लोगों को आगे आना चाहिए जो एक्‍सपर्ट हो ताकि लोगों की सोच को खत्‍म किया जा सके कि इस लाइन में वही लोग आते है जिनको कोई काम नही मिलता है।

 

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