सरकार को ट्रासंपोर्ट लाइन के बारे में कुछ सोचना चाहिए : transporter-pramod-verma

प्रमोंद वर्मा जी पंजाब के लुधियाना के रहने वाले है । साल 2013 से वे ट्रांसपोर्टस लाइन में काम कर रहे है । इन्‍होंने एक ट्रक के साथ ट्रांसपोर्टस बिजनेस में काम की शुरूआत की थी । इन्‍होंने धीरे धीरे मेहनत करके अपने काम को आगे बढाया और एक ट्रक से दो ट्रक तैयार किए। इनका कहना है कि इन्‍होंने ट्रांसपोर्टस के बिजनेस में सक्‍सेज होने के लिए कड़ी मेहनत की, जिसका इन्‍हें फल भी मिला है। और अपना काम बडी ही ईमानदारी के साथ किया। इनका कहना है कि जब ट्रांसपोटस लाइन में काम की शुरूआत की थी तब से अब तक खर्चे बहुत बढ गए है। इनका कहना है कि ट्रांसपोर्टस बिजनेस के ऑनलाइन होने से यह फायदा है कि गाडियों में gsp लगने से गाडी का पता रहता है कि गाडी कहां पर खडी है। इनका कहना है कि ट्रांसपोर्टस लाइन में इ वे बिल सही है लेकिन ई वे बिल बनाने के चक्‍कर मे गाडी को काफी समय तक रूकना पडता है इससे समय की बर्बादी ही होती है। इनका कहना है किे गाडी में अगर हम ओवरलोड न करे तो हम अपनी गाडी तक का खर्चा नही निकाल सकते है। इनका कहना है कि ओवरलोड तो हम मजबूरी में करते है। अंडरलोड गाडी चलाने से तो फायदा ही होता है। अंडरलोड गाडी चलाने से डीजल की भी बचत होती है। इनका कहना है कि ई वे बिल के चक्‍कर में गाडी को नजायज ही खडा करके रखते है। टोल टैक्‍स पर भी नजायज के पैसे लिए जाते है।  इनका कहना है कि सरकार को ट्रासंपोर्ट लाइन के बारे में कुछ सोचना चाहिए और टैक्‍स कम करने चाहिए। रोड टैक्‍स और टोल टैक्‍स में से एक टैक्‍स ही होना चाहिए।

 

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