मोटर व्‍हीकल एक्‍ट में चालान बहुत ज्‍यादा है: transporter-rajbir-singh

राजवीर सिंह जी हरियाण में जींद के रहने वाले है। राजवीर सिंह जी को ट्रांसपोर्टस लाइन का काफी तर्जुबा है। राजवीर सिंह जी ने दो गाडियों के साथ ट्रांसपोर्टस का काम शुरू किया था। इस समय  इनके पास 60 गाडियां है। राजवीर सिंह जी गाडियों को बुकिंग का काम देते है। राजवीर जी ने बताया कि भगवान की कृपा दृष्टि बनी हुई हैै और काम काफी बढिया चल रहा है। राजवीर सिंह जी ने फास्‍ट टैग के बारे में बताया फास्‍ट टैग को सरकार ने शुरू कर बहुत अच्‍छा कदम उठाया है। ट्रांसपोर्टस के बिजनेस को आगे बढाने के लिए काफी फायदे मंद है फास्‍ट टैग। ई वे बिल की तरह फास्‍ट टैग भी ट्रांसपोर्टस लाइन के लिए बेनीफिशियल होगा। फास्‍ट टैग से गाडी आराम से टोल बैरियर से निकल जाएगी। इससे समय की बचत होगी। राजवीर सिंह जी ने बताया कि मोटर व्‍हीकल एक्‍ट ट्रांसपोर्टस के काम में रूकावट खडी करता है । गाडियों से इतनी कमाई तो हो नही रही है। ऊपर से गाडियों के चालान के रेट बढने से ट्रांसपोर्टस के काम में दिक्‍कत और ज्‍यादा आ रही है चालन के रेट कम होने चाहिए। राजवीर सिंह जी ने जीपीएस के फायदों के बारे में बताया जीपीएस का गाडियों में लगे होने से कंपनी ट्रांसपोर्टस को आसानी से माल देना पसंद करती है। जीपीएस की सहायता से गाडी देख रेख में रहती है गाडी के बारे में पूरी जानकारी रहती है गाडी किसी जगह है और किस स्‍पीड से चल रही है। जीपीएस लगी गाडियों को माल मिलने में आसनी रहती है। राजवीर सिंह जी ने बताया कि ई वे बिल के आने से काफी फायदे हुए है। ई वे बिल के आने से बार्डर से बैरियर हट गए है। बार्डर से बैरियर के हटने से गाडी को रास्‍ते में चैकिंग के लिए नही रूकना पडता है। ई वे बिल के आने से स्‍टेट में जाकर जो पर्ची बनवानी पडती थी वही काम खत्‍म हो गया है। ई वे बिल पास तें हो तो सेल्‍स टैक्‍स वाले परेशान नही कर सकते है। राजीव जी गाडियों को अंडरलोड ही चलाते है। सरकार ने जितना टन पास कर रखा है उतना ही गाडियों में डलवाते है रास्‍तें में कोई दिक्‍कत नही आती है। पुलिस वाले भी परेशान नही करते है अंडरलोड गाडी चलाने से। राजीव सिंह जी ने बताया कि ट्रांसपोर्टस लाइन में सबसे ज्‍याद समस्‍या तो टैक्‍स और इंश्‍योरेंस के रेट काे लेकर आ रही है गाडी के भाडे वैसे भी बढ नही रहे है अब टैक्‍स और इंश्‍योरेंस के रेट बढ गए है। राजवीर सिंह जी का सुझाव है कि एक तो चालान के रेट कम होने चाहिए और गाडियों के भाडे बढने चाहिए।

 

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