ओवरलोड वाहनों की वजह से सडकों पर जाम की स्थिति बनी रहती है : transporter-sumit
सुमित जी सन् 2017 से ट्रांसपोर्ट लाइन में है। फिलहाल उनके पास अपना कोई ट्रक नहीं है। इस लाइन में आए बदलाव के बारे में सुमित जी बताते है कि जीएसटी लगने के बाद यह चेंज आया है कि एक तो दो नंबर का काम खत्म हो गया है। माल समय पर पहुंच जाता है। माल भाडा भी समय पर मिल जाता है। पहले पैसे के लेन देन के लिए घंटों बैंकों में लगी लंबी लाइनों में खडे होकर समय की बर्बादी होती थी, लेंकिन अब ऑनलाइन की वजह से समय की बचत के साथ साथ पैसे का लेन देन भी सुविधा पूर्वक हो जाता है। उनका कहना है कि डीजल के रेट बढते है ताे भाडा तो बढना ही चाहिए। डीजल के रेट तो बढ जाते है लेकिन भाड़ा नहीं बढता।इस कारण लेबर व ड्राइवरों को पैमेंट ट्रांसपोर्टरों को अपनी जेब से करनी पडती है। सुमित जी कहते है कि ट्रांसपोर्ट बिजनेस में सबसे बडी दिक्कत यह है किअनुभवी ड्राइवर नहीं मिल पाते है। यह बिजनेस ड्राइवरों पर ही डिपेंड है। अगर ड्राइवर ट्रेंड नहीं हाेगा तो गाड़ी को खतरा बना रहेगा। इसलिए गाड़ी पर हमेश ट्रेंड ड्राइवर ही रखना चाहिए। वे कहते है कि इस बिजनेस में खर्चे बहुत बढ गए है। पिछले 15 सालों में टायर,चेसिस, पार्टस, इ्रश्योरेंस के रेट दुगने हो गए है, लेकिन भाड़ा उतना नहीं बढ पाया है। खर्चे ज्यादा होने के कारण कमाई कम हाे गई है। सुमित जी गाडियों में अंडरलोड को सही मानते है। उनका कहना है कि अंडरलोड से गाड़ी सेफ रहती है और ड्राइवर की जान भी सुरक्षित रहती है। अकसर देखा जाता है कि ओवरलोड वाहनों की वजह से सडकों पर जाम की स्थिति बनी रहती है, अंडरलोड से जाम की स्थिति पर भी नियंत्रण रखना कुछ हद तक सरल हो जाता है। सुमित जी का सुझाव है कि सरकार काे ट्रांसपोर्ट लाइन में टैक्स कम करने चाहिए।
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