डीजल भी जीएसटी के दायरे में होना चाहिए : transporter gurnail singh

गुरनेल सिंह जी पंजाब में लुधियाना के रहने वाले है। इनके पास खुद  की पांच  गाडियां  है।  इनका  कहना है कि पिछले कुछ महीनों से इस काम में मंदी आ गई  है। इनका  कहना  है कि जब  से ट्रांसपोर्टस का काम शुरू किया है तब से लेकर अब तक यह चेंज देखने को मिला है अब पहले से मंहगाई काफी बढ गई है। अब गाडी का खर्चा काफी बढ गया है। गुरनेल सिंह जी का मनना हे कि आइनलाइन सिस्‍टम ने इस लाइन को बदल कर रख दिया है। अब तो सब कुछ आनलाइन हो गया है। गाडियों में जीपीएस के लगे होने से गाडी की लोकेशन का पता रहता है कि गाडी कहां पर खडी है और  किसी  स्‍पीड  से चल रही है। ऑनलाइन से हमे गाडियों की जानकारी मिलती रहती है । अबमाल भी आनलाइन मिल जाता  है। इससे एजेंट की कमीशन भी नहीं देनी पड़ती। इसी तरह ई वे बिल के आने से रास्‍ते में से अब बैरियर उठ गए है। बैरियर  के उठने से ट्रांसपोर्टस लाइन को काफी फायदा हुआ है। इससे कपप्‍शन भी पहले से कम हुआ है। गुरनेल सिंह जी कहते है कि गाडियों को अंडरलोड चलाना ही सही रहता है। गाडियों में ओवरलोड डालने से गाडी को काफी नुकसान  होता है।  इनका कहना है कि इस बिजनेस में सबसे बडी दिक्‍कत यह आ रही है कि गाडी को समय पर माल नही मिल रहा है । आजकल भाडे के रेट नही मिल रहे है।   पहले भाडे के रेट सही थे। अब टैक्‍स और टोल टैक्‍स काफी बढ गए है। डीजल के रेट भी बहुत बढ गए है। इनका सुझाव है कि गाडी के डीजल के रेट कम होने चाहिए। इनका कहना  है कि डीजल को भी जीएसटी के अंडर ही लेना चाहिए। टोल टैक्‍स और रोड टैक्‍स में से एक ही टैक्‍स लगना  चाहिए। सरकार रोड टैक्‍स भी ले रही है और टोल टैक्‍स भी ले रही है , यह तो गलत है । जब टोल टैक्‍स ले रहे है तो रोड टैक्‍स नही लेना चाहिए।

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