सरकार को टैक्सों में कुछ कटौती करनी चाहिए : transporter satish
सतीश जी लुधियाना के रहने वाले है। वे पिछले 15 साल से ट्रांसपोर्ट लाइन में है। सतीश जी ने एक ट्रक से अपने काम की शुरूआत की थी। अपनी मेहन से इन्होंने खुद के छह ट्रक बना लिए। सतीश जी का कहना है कि जीएसटी लगने के बाद ट्रांसपोर्ट लाइन में ज्यादा फर्क नही आया है। थोडी बहुत सुविधा मिली है। उनका कहना है कि पिछले पांच सालों में यह चेंज आया है कि डीजल के रेट कम है भाडा ज्यादा बढ गया है। उनका कहना है कि यदि डीजल के रेट बढते है तो भाडा तो बढना चाहिए क्योंकि इससे ट्रांसपोर्टरों को नुकसान नहीं पहुंचता। उनका कहना है कि ऑनलाइन प्रक्रिया से पैसे के लेन देन में काफी सुविधा हो गई है। अब हजारों की पैमेंट भी आसानी से की जा सकती है। आनलाइन सुविधा से पैसा चोरी होने का जो भय बना रहता था अब वाे भी कुछ हद तक कम हो गया है। सतीश जी गाडियों में अंडरलोड को सही मानते है । उनका कहना है कि ड्राइवर की जान को खतरा नही रहता और गाडी के टायर नही घिसते है, जिसकी वजह से गाडियों की बार बार रिपेयर करवाने का खर्चा कम होता है। उनका कहना है कि ट्रासंपोर्ट लाइन में टैक्स को लेकर ज्यादा दिक्कत आ रही है। गाडी खरीदने से लेकर गाडी सडक पर चलाने के लिए अनेक प्रकार के टोल टैक्स व रोड टैक्स देने पडते है, जिससे ट्रांसपोर्टरों को आर्थिक नुकसान पहुंचता है। उनका कहना है कि सरकार को टैक्सों में कुछ कटौती करनी चाहिए, ताकि ट्रांसपोर्टरों को हो रहे आर्थिक नुकसान से कुछ हद तक राहत मिल सके। उनका सुझाव है कि सरकार ओवरलोड रोकने के लिए कानून बनाए। एक बार सख्ती होगी तो ओवरलोड पूरी तरह बंद हो जाएगा। उनका कहना हैकि ट्रांसपोर्टर पर ओवरलोड का प्रेशर बनाने वाली कंपनियों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए।
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