आनलाइन सिस्टम से ट्रांसपोर्ट लाइन में बहुत चेंज आया: transporter-sanjeev-kumar
संजीव कुमार जी पंजाब के डेेराबसी के रहने वाले है। इन्होंने एक गाडी से ट्रांसपोर्टस के काम की शुरूआत की अब इनके पास खुद की तीन गाडियां हैै। इनका कहना है कि पहले ट्रांसपोर्ट लाइन में वहीं लोग आते थे, जिनके पिता या परिवार के अन्य लोग इस लाइन में थे। लेकिन अब दूसरे लोग भी इस बिजनेस में आने लगे है। इस बिजनेस में कमाई अच्छी है, लेकिन जब काम मंदा हो जाता है तो कमाई कम हो जाती है। उनका कहना है कि अब इस बिजनेस में काफी चेंज आ गया है। सबसे बड़ा चेंज आनलाइन सिस्टम के कारण हुआ हे। अब हर काम आनलाइन हो रहा है। गाड़ी के लिए माल भी आनलाइन मिल रहा है। गाडि़यों में जीपीएस लगा होता है । इससे गाडी का लोकेशन का पता रहता है कि गाडी कहा पर पहुंच गई है ड्राइवर लोग गाडी के मालिक से झूठ बोल कर गाडी को ईधर उधर ले जाते थे जीपीएस के आने से यह तो काफी फायदा हुआ है और मालिक को माल का पता रहता है कि गाडी माल लेकर कहा पहुंच गई हैै। इनका कहना है कि ट्रांसपोर्टस को तो ई वे बिल का ताे कुछ खास फायदा नही हुआ है। इनका कहना है कि यह गाडियों को अंडरलोड चलाना ही पंसद करते हैै। इस बिजनेस की में अब मंहगाई काफी बढ गई है काम मिल रहा नही है अगर माल मिल भी जाए तो भाडे के रेट इतने बढ गए है। इस बिजनेस में आज सबसे बडी दिक्कत का कारण है टोल टैक्स का काफी बढना और इंश्योरेंस के रेट भी बहुत बढ गए है । इनका सुझाव है कि इस बिजनेस को तभी फायदा हो सकता है जब टठैक्स कम किए जाए। सरकार को चाहिए कि ट्रांसपोर्टस से रोड टैक्स और टोल टेक्स में से एक टेक्स ही लिया जाए।
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