ई वे बिल की तारीख निकलने का अनपढों को नहीं पता चल पाता : transporter-ravinder-singh

रविन्‍द्र सिंह जी पंजाब के डेराबस्‍सी के रहने वाले है। इन्‍होंने सन 1991 में ट्रांसपोर्टस लाइन में एंटरी की थी। वे पहले जॉब करते थे फिर ट्रांसपोर्टस लाइन में काम करना शुरू किया । इन्‍होंने जब काम की शुरूआत की थी तब एक भी गाडी नही थी अपनी आज इनके पास  खुद की सात गाडियां है। इन्‍हें ट्रांसपोर्ट लाइन का लंबा अनुभव है। उनका कहना है कि पिछले दस सालों में ट्रांसपोर्ट लाइन में जितना चेंज आयाख्‍ उतना पहले कभी नहीं आया। पहले हर काम में पैसा और समय लगता था। ट्रांसपोटर् लाइन के आनलाइन होने से समय और पैसा दोनों बच रहे है। उनका कहना है कि आनलाइन सिस्‍टम में गाडी को माल मिल जाता है लेकिन नुकसान ये है  कि कुछ झोलाछाप ट्रांसपोर्टस बीच में दलाली का काम करते है। इससे गाड़ी वाले को नुकसान होता हे। उनका कहना है कि पुलिसवाले और आरटीओं वाले इस काम को आगे बढने नही देते है। इनका कहना है कि ई वे बिल  का काफी  फायदा भी है और नुकसान  भी  । जो तो पढे लिखे लोग है वो तो ई वे बिल देख के पता लगा सकते है कि गाडी का माल कितने दिन तक पहुंचना जरूरी है,  वो  पढ कर पता  लगा लेते है , लेकिन जो अनपढ लोग होते है उन लगो को पता नही होता कि माल कितने दिन तक पहुंचाना जरूरी है  फिर ई वे बिल की तारीख निकलने पर गाडी को सेल टैक्‍स वाले पकड लेते है इस चीज से नुकसान  है। इनका कहना  है कि इस देश कि तरक्‍की क्‍यों नही हो रही  है  क्‍योंकि कोई भी सरकार जनसंख्‍या में वृद्धि पर रोक नही लगाती है । जनसंख्‍या पर कंट्रोल होना चाहिए तभी देश की तरक्‍की का पता लगेगा। इनका सुझाव है कि बिना   कागज और  परमट के तो कोई भी गाडी चलनी नही चाहिए। 15  से 20 साल बाद गाडियों को डेड घोषित कर देना चाहिए अ्गर कोई 15 से 20 साल के पूरे होने के बाद गाडी चलाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

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