transporter-ratan-singh ने तीन रुपए लीटर डीजल का वक्‍त भी देखा है …

रतन सिंह जी हरियाण में पंचकुला के रहने वाले है। इन्‍होंने सन् 1972 से ट्रांसपोर्टस के बिजनेस की शुरूआत की थी। इनका कहना है कि इन्‍होंने पार्टनरशिप में गाडी डाली थी। अब वे गाडियों को बुक करवाने का काम करते है। उनका कहना है कि इस काम में काफी फायदा है।  वे बताते है कि उन्‍होने वो जमाना देखा है जब डीजल के रेट तीन रुपए लीटर था। अब डीजल 70 रुपए तक पहुंच गया है।पहले आज के हिसाब से भााड़ा कम था, लेकिन तब खर्चे इतने नहीं थे और सारे खर्चें निकालने के बाद भी पैसा बच जाता था। लेकिन आज खर्चे बेहिसाब हो गए है। इंश्‍योरेंस के रेट इतने बढ गए है। और तो और रोड टैक्‍स और परमिट फीस भी कई गुना बढ गई है। आज भाड़ा तो बढा है, लेकिन उतना नहीं जितने खर्चे बढ गए है। वे कहते है कि ट्रांसपोर्ट लाइन के आज बढिया बात यह है कि यह बिजनेस आनलाइन हो गया है।गाड़ी के लिए माल चाहिए तो वो आनलाइन मिल रहा है। गाड़ी के कागज बनवाने हो तो आनलाइन बन जाते है। गाड़ी में तेल भी आनलाइन डल जाता है। यहां तक कि भाड़ा भी आनलाइन सीधा खाते मेें आ जाता है। इसके लिए कही जाने की जरूरत नहीं पड़ती। सबसे बढिया बात तो गाड़ी में जीपीएस लगने से हो गई है। गाड़ी मालिक को घर बैठे ही पता चल जाता है कि गाड़ी कहां पर है। इतना चेंज आने से ट्रांसपोर्ट लाइन आसान हो गई है। रतन सिंह जी का मानना है कि गाड़ी को ओवरलोड चलाना गलत है, लेकिन कई बार मजबूरी में ओवरलोड करना पड़ता है। उनका कहना है कि इस बिजनेस में सबसे बडी दिक्‍कत यह आती है एक तो गाडी को लोडिंग के लिए माल नही मिलता है और माल मिल जाए तो भाडे के रेट सही नही मिलते है। आरटीओ और पुलिस वाले भी बहुत तंग करते है। इनका कहना है कि मार्केट में गाडियों की संख्‍या ज्‍यादा होने से गाडी को माल नही मिल पाता है । इनका सुझाव है कि भाडे के रेट सही मिलने वाहिए और ड्राइवर को सेलरी भी ठीक मिले । इंश्‍योरेंस के रेट भी कम होने  चाहिए।

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