जरनेल सिंह जी ने लोन लेकर बनाई तीन गाडि़यां : transporter-jarnail-singh

जरनेल सिंह जी चंडीगढ के रहने  वाले है। इन्‍होंने एक गाडी के साथ ट्रांसपोर्टस के बिजनेस की शुरूआत की  थी। आज इनके पास खुद की तीन गाडियां है। इनका कहना है कि इन्‍होंने लोन पर गाडियां बनाई थी। इन्‍होंने जब काम की शुरूआत की थी तब काम काफी बढिया चल रहा था । जरनैल सिंह जी का कहना है कि आज इस बिजनेस में मंदी आ गई है, आज पहले जैसा काम नही रहा ट्रांसपोर्टस का। आज खर्चे बहुत बढ गए है। डीजल का रेट हर महीने बढ जाता है। लेकिन भाड़ा नहीं बढ रहा । अगर डीजल का रेट बार बार बढे तो भड़ा तो बढना ही चाहिए। इनका कहना है कि ऑनलाइन सिस्‍टम से ट्रांसपोर्टस लाइन को काफी फायदा हो रहा है। ई वे बिल का फायदा है कि सारा काम एक नंबर में हो गया है अब गाडी वाले को भी खतरा नही रहता है कि कही माल दो नंबर का तो नही । अब ड्राइवर को पूरी जानकारी होती है कि उसकी गाडी में कितना माल है ,इस माल का कितना रेट है,  रेट के साथ साथ हाथ में ई वे बिल भी होता है। जरनेल सिंह जी गाडी में अंडरलोड को ही सही मानते है। उनका कहना है किअंडरलोड गाडी चलाने से गाडी काे नुकसान कम होता है। इस बिजनेस में सबसे बडी दिक्‍कत यह आ रही है कि अब गाडी को माल नही मिल रहा है । यूनियन के बंद होने से काम रहा नही कुछ खास और ट्रांसपोर्टस को भाडे के पूरे रेट नही मिलते है। इनका कहना है कि हमे भाडे के रेट पुराने मिल रहे है । गाडी के परमिट और इंश्‍योरेंस काफी मंहगे है। एक गाडी का खर्चा साल का एक लाख रूपए है ।  इनका सुझाव है की सरकार इंडस्‍ट्री केे लिए कुछ करें क्‍योंकि छोटी इंडस्‍ट्री बंद हो रही है, इसका असर ट्रांसपोर्ट लाइन पर भी पड़ रहा है।

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