ट्रांसपोर्टस बिजनेस में सबसे ज्‍यादा दिक्‍कत कम भाड़े की है : transporter-gursevak-singh

गुरसेवक सिंह पंजाब के भंटिडा के रहने वाले है। उनके पास खुद के चार ट्रक है। उन्‍होंने एक ट्रक के साथ काम शुरू किया था। इस बिजनेस में उन्‍होने काफी मेहनत की है। वे कहते है कि कड़ी मेहनत के कारण ही उन्‍हें कामयाबी मिली है। गुरसेवक सिंह का कहना है कि जो लोग मेहनत से नहीं डरते, उन्‍हें ही इस लाइन में आना चाहिए। उनका कहना है कि अब ट्रांसपोर्ट लाइन में बहुत चेज आ गया हे। हर काम आनलाइन हो रहा है। गाड़ी के कागज आनलाइन बन रहे हैं। गाडि़यों में जीपीएस ने तो काम आसान कर दिया है। जीपीएस से काफी फायदे है। गाडी के मालिक को जीपीएस की सहायता से गाडी की हर मिनट की खबर रहती है कि गाडी कहां है, किधर पहुंच गई है। ड्राइवर गाडी को सही ढग से चला रहा है या नहीं, सब कुछ जीपीएस से पता चल जाता है। । गुरसेवक सिंह जी गाडियों में अंडरलोड  ही डलवाना पसंद करते है। उनका कहना है कि अंडरलोड गाडी चलाने से एक्‍सीडेंट के होने के चांस कम होते है। गाडी की सेफटी भी बनी रहती है। लेकिन कई बार मजबूरी में ओवरलोड करना पड़ता है। उनका कहना है कि ट्रांसपोर्ट लाइन में यूनियन मजबूत नहीं है। आल इंडिया लेवल पर एक यूनियन होनी चाहिए। इससे सरकार भी हमारी मांगों पर ध्‍यान देगी। उन्‍होंने बताया कि ट्रांसपोर्टस बिजनेस में सबसे ज्‍यादा दिक्‍कत तो भाड़े को  लेकर आ रही है। एक तो मार्केट मे इस समय काम काफी मंदा है। ऊपर से गाडी के टैक्‍स और इंश्‍योरेंस के रेट काफी बढ गए है। काम न होने की वजह से इंश्‍योरेंस का खर्चा निकालना मुश्‍किल है। गाडियों के खर्चे बहुत ज्‍यादा है। डीजल के रेट तो हर महीने बढ जाते है, लेकिन भाड़ा नहीं बढता है। अगर डीजल के रेट बढते है तो भाड़ा भी जरूर बढना चाहिए।

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