टैक्सटाईल और इंडस्ट्रीज के कम होने से प्रभावित हो रहा ट्रांसपोर्ट बिजनेस : ट्रांसपोर्टर स्वर्ण सिंह
*स्वर्ण सिंह का मानना है कि इंकम पहले से काफी कम हुई है, लेकिन आनलाइन सिस्टम से फायदा
ट्रांसपोर्टर स्वर्ण सिंह पिछले 19 साल से इस बिजनेस में है। उन्होंने ट्रांसपोर्ट लाइन के उतार चढाव को काफी नजदीकी से समझा जाना है। उन्होंंने अपने अनुभवों को truck suvidha के साथ सांझा किया।
स्वर्ण सिंह पंजाब के डेराबसी के रहने वाले है। इन्होंने ट्रांसपोर्टस का बिजनेस सन 2000 से शुरू किया था। काम की शुरूआत एक ट्रक से की थी। अब भी उनके पास एक ही ट्रक है। आज की डिजिटल दुनिया में स्वर्ण सिंह जी मोबाइल का प्रयोग करते है। इनका मानना है कि अब ट्रांसपोर्ट बिजनेस में आनलाइन सिस्टम हो गया है। इससे काम जल्दी होने लगा है और समय भी बच जाता है। इनका कहना है कि जब से जीएसटी लगी है तब से हमारा काम पहले से आधा हो गया है। जीएसटी से पहले 100 गाडिया यूनियन में लगती थी। जीएसटी लगने के बाद काम कम हो गया। अब सिर्फ 50 ही गाडिया यूनियन में लगती है। इनका कहना है जब काम की शुरूआत की थी, काम बढिया चल रहा था। अब तो काम आधा हो गया है। इंश्योरेंस और टायर के रेट काफी बढ गए है। स्वर्ण सिंह पुराने दिनों के बारे में बताते है कि पहले डीजल का रेट 50 रूपए था और भाडा भी ठीक ठाक था। अब डीजल का रेट 70 रूपए है और भाडा भी काफी कम है। इनका मानना है कि गाडी को अंडर लोड चलाने में ही फायदा है। स्वर्ण सिंह कहते है कि ट्रांसपोर्ट के बिजनेस में सबसे अधिक दिक्कत तो माल भाडे को लेकर आ रही है। पहले 40000 से 50000 रूपए की इंकम होती थी, लेकिन अब ट्रांसपोर्टस को कुछ बचता नही है। अब इनकम 10000 से 15000 के बीच में हो गई है। माल भाडे का रेट सही न मिलने के कारण घर चलाना मुश्किल है। स्वर्ण सिंह जी कहते है कि टैक्सटाईल और इनडस्ट्रीज खत्म होती जा रही है, जिसकी कारण काम कम हो गया है। इन सब बातो पर सरकार को ध्यान देना चाहिए। एक तो डीजल के रेट ज्यादा है दूसरा, इंश्योरेंस के रेट काफी बढ गए है, इन सब चीजो में सरकार को रियायत देनी चाहिए।
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