47 साल से ट्रांसपोर्टर लाइन में है मनीष जी, खुद को इस बिजनेस में हुए बदलाव के अनुसार ढाला

*ट्रांसपोर्टर मनीष जी ने अपनी मेहनत से बनाए आठ ट्रक
*मोबाइल के साथ साथ इंटरनेट भी करते है यूज

आइए आपको मिलाते है एक ऐसे ट्रांसपोर्टर से जो पिछले 47 सालों से ट्रांसपोर्ट लाइन में है। हम बात कर रहे हैं ट्रांसपोर्टर मनीष जी की, जिन्‍होंने इतने लंबे अनुभव के दौरान ट्रांसपोर्ट लाइन में काफी उतार चढाव देखे हैं। मनीष जी बताते है कि उन्‍होंने चार ट्रकों के साथ काम शुरू किया था और आज उनके पास आठ ट्रक हैं। मनीष जी ने ट्रांसपोर्ट लाइन का वो दौर भी देखा है जब ट्रक और ट्रक के पार्टस और टायर आज के मुकाबले दो से तीन गुना सस्‍ते थे। इन सालों मेंं ट्रांसपोर्ट लाइन में काफी बदलाव आया है। दिलचस्‍प यह है कि मनीष जी ने खुद को इन बदलावों के अनुसार ढाला। डिजीटल युग में मोबाइल और इंटरनेट से ट्रांसपोर्ट लाइन को भी काफी फायदा हुआ है। मनीष जी मोबाइल के साथ साथ इंटरनेट का इस्‍तेमाल बखूबी कर रहे है। उनका कहना है कि पहले सारे काम मैन्‍यूली होते थे। अब कागजी काम खत्‍म हो गया है।अब सक कुछ आनलाइन हो रहा है। उनका मानना है कि ट्रांसपोर्ट लाइन में खर्चे काफी बढ गए है। बार बार डीजल का रेट बढता है। ऐसे में डीजल का रेट बढता है भाडा भी बढना चाहिए। साथ ही भाडे के रेट डीजल को ध्‍यान में रख कर ही तय होने चाहिए। मनीष जी ओवरलोड गाडी चलाने को बिल्‍कुल ही गलत मानते है। उनका कहना है कि इससे गाडी को ही नुकसान होता है। साथ ही एक्‍सीडेंट का खतरा भी बढ जाता है। ट्रांसपोर्ट लाइन की दिक्‍कतों के बारे में मनीष जी कहते है कि ट्रांसपोर्ट बिजनेस में दिक्‍कत यह आ रही है एक तो काम के लिए लेवर नही मिल पाती और दूसरा ड्राइवर भी नही मिल पाते है। मनीष जी चाहते है कि सरकार को जीएसटी पर उतनी ही पनैल्‍टी लगानी चाहिए जितनी ट्रांसपोर्टर आसानी से दे सके ,जरूरत से ज्‍यादा पनैल्‍टी काम खराब करती है। ट्रांसपोर्टस की कमाई के हिसाब से पनैल्‍टी लगनी चाहिए । इससे ट्रांसपोर्टर को थोडी राहत मिल पाएगी।

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