ट्रांसपोर्टर लखविंद्र जी ने ड्राइवरी कर बनाए चार ट्रक, दूसरों के लिए बने मिसाल

गाडी के कागज पूरे हाेने पर ड्राइवरों को तंग न करे पुलिस : लखविंद्र

डेराबस्‍सी के रहने वाले लक्‍की वेद उर्फ लखविन्‍द्र की दो पीढियां ट्रांसपोर्ट लाइन में है। लखविंद्र जी के पिता करीब ४० साल से ट्रांसपोर्ट बिजनेस में है। जबकि लखविंद्र जी करीब १२ सालों से इस बिजनेस मे हैं। लखविंद्र जी ने इस बिजनेस में शुरू से ही कडी मेहनत की। लखविंद्र बताते है कि कई सालों तक उन्‍होने खुद ट्रक चलाया।  ड्राइवरी करते हुए इन्‍होंने अपने खुद के चार ट्रक खरीद लिए। लखविंद्र जी ने बदलते समय के अनुसार खुद भी बदला। डिजिटल की दुनिया में वे मोबाइल, कंप्‍यूटर और इंटरनेट का प्रयोग करते है। लखविंद्र जी का मानना है कि जीएसटी लगने के बाद ट्रांसपोर्टस बिजनेस में काम काफी मंदा हो गया  है। इनका कहना है कि जब उन्‍होंने काम शुरू किया था, तब काम ठीक था अब काम काफी कम हो गया है। इनका मानना है कि अब ट्रांसपोर्टस को काफी तरह की सुविधाएं  मिल गई है लकिन काम काफी मंदा हो गया है। अब ट्रांसपोर्ट बिजनेस में खर्चे काफी बढ गए है, लेकिन भाडा उतना नहीं बढा है। जबकि पहले खर्चे कम थे। अब खर्चे ज्‍यादा हो गए है।  उनका मानना है कि डीजल के रेट बढने पर भाडा भी बढना चाहिए। लखविंद्र मानते है कि गाडियों में ओवरलोड नहीं होना चाहिए, इससे जितना फायदा होता है, उतना गाडी पर खर्च हो जाता है। इसलिए अंडरलोड ही सही है। इनका कहना है कि ट्रांसपोर्टस के बिजनेस में सबसे बडी दिक्‍कत तो पुलिस वाले खडी करते है। पुलिस वाले 500 से 1000  रूपए लेकर ही फिर गाडी आगे जाने देते है। चाहे कागज पूरे हो, फिर भी बिना पैसे लिए गाडी को नहीं जाने देते। इसके अलावा भाडे को लेकर दिक्‍कत आती है। भाडा सही नही मिलता । लखविंद्र् जी कहते है कि सरकार ऐसी व्‍यवस्‍था करें कि गाडी के पेपर पूरे होने पर ड्राइवरों को तंग नहीं किया जाए। उनका कहना है कि डीजल और टायर के रेट काफी बढ  गए है , सरकार को इसे कम करना चाहिए।

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