*ट्रांसपोर्टर लाइन के लिए ट्रांसपोर्टर दिनेश जी के है कुछ सुझाव ….
ट्रांसपोर्टर दिनेश जी पिछले तीन साल से इस लाइन से जुडे है। वह अजमेर के रहने वाले है। ट्रांसपोट्र लाइन के बदलावों और दिक्कतों के बारे में उन्होंने ट्रक सुविधा के सथ बीत की। आइए आपको बताते है उनके विचार ….। दिनेश जी डिजीटल की दुनिया में मोबाइल के साथ साथ इंटरनेट भी यूज करते है।इनका मानना है कि जीएसटी लगने के बाद परिर्वतन यह आया है कि अब बाडर्र पर ट्रक को पेपर चेक कराने के लिए नही रूकना पडता है। जीएसटी के बाद अब समय बच रहा है। इससे गाडी जलदी आ जा रही हे। ट्रांसपोर्ट लाइन में आनलाइन सिस्टम को दिनेश्ा जी अव्छा मानते है। वह खुद भी लोकल ऑनलाइन ट्रांसपोर्ट के साथ जुडे हुए है। इसके अलावा वह ऑल इंडिया में ऑनलाइन से जुडना चाहते है ताकि वह अपनी गाडी कही से भी लोड करवा सके। दिनेश जी ने इस लाइन में काफी बदलाव देखे है। इनका कहना है कि जब से मैंने काम शुरू किया था और अब तक यह परिवर्तन देखने को मिला है कि अब ज्यादा काम ऑनलाइन सिस्टम से हाेते है। उनका मानना है कि ऑनलाइन सिस्टम से काम फास्ट हुए है। इनका कहना है कि ट्रांसपोर्ट लाइन में गाडी को लोड करवाने के लिए तीन से चार दिन खाली खडा रहना पडता है। गाडियों को लोड करवाने का ऑललाइन सिस्टम होना चाहिए ताकि गाडियों को खाली खडा न रहना पडे और गाडी की लोडिंग के लिए माल भी मिल सके। दिनेश जी कहते है कि ट्रांसपोर्ट बिजनेस में खर्चे काफी बढ गए है। ऐसे में भाडा भी बढना चाहिए। खास तौर से जब डीजल के रेट बढते है तो भाडा भी बढना ही चाहिए। दिनेश जी का सुझाव है कि गाडियों की लोडिग ऑनलाइन होनी चाहिए और टोल टैक्स के लिए किलोमीटर के हिसाब से गाडियों का टोल टैक्स काटा जाना चाहिए। जैसे जीपीएस से पता चल जाता है कि हमारी गाडी कहां पर खडी है , ठीक उसी प्रकार टोल टैक्स का सिस्टम होना चाहिए।
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