* मेहनत करने पर उताव चढाव तो होते ही है : धमेंद्र सिंह
* धमेंद्र जी का मानना है कि किलोमीटर के हिसाब से तय होना चाहिए भाडा
आइए आपको मिलाते है ऐसे ट्रांसपोर्ट से, जिन्होंने पांच साल की कडी मेहनत से अपने १२ ट्रक बनाए हैं। इन सालों में उन्होंने ट्रांसपोर्ट लाइन में काफी बदलाव भी देखे है। हम बात कर रहे हैं पंजाब के तरनतारन जिले के धमेंद्र जी की। उन्होने एक ट्रक से काम शुरू किया था। अपनी मेहनत से उन्होने जल्दी ही दूसरा ट्रक ले लिया। इस तरह पांच सालों में वे एक के बाद एक ट्रक लेते गए और अपने 12 ट्रक बना लिए। धर्मेन्द्र सिंह जी ने अपने अनुभव सांझा करते हुए कहा कि जब हम मेहनत करते है तो उस समय काफी उतार चढाव तो आते ही है जिंदगी में। उन सब उतार चढाव को पार करके मैने खुद के एक से 12 ट्रक बनाए। इनका कहना है कि जब मैंने अपना काम शुरू किया था, तब शुरू से लेकर अब तक ट्रांसपोर्ट लाइन में काफी फर्क देखने को मिला है। भाडे और डीजल के रेट को देखा जाए तो इसमेंं काफी फर्क पडा है। पहले भाडा कम था तो डीजल के रेट भी कम थे, इससे काम चल जाता था। साथ ही गाडी का खर्चा भी निकल जाता था। लेकिन अब खर्चे ही इतने बढ गए है कि गाडी का खर्चा निकालना मुश्किल हो गया है। अब देखिए, डीजल के रेट बढे है लेकिन भाडे के रेट वही पुराने वाले ही है। डीजल के रेट बढते है तो भाडा तो बढना ही चाहिए। धमेंद्र जी ओवरलोड के खिलाफ है। उनका कहना है कि ओवरलोड से जितना फायदा होता है, उतना गाडी पर खर्चे हो जाता है। इसलिए अंडरलोड गाडी ही चलानी ट्रांसपोर्ट लाइन की दिक्कतों के बारे में उन्होने बताया कि ट्रांसपोर्ट बिजनेस में सबसे बडी दिक्कत तो भाडे को लेकर आ रही है और दूसरी दिक्कत यह आ रही है कि ड्राइवर नही मिल पाते है। धर्मेन्द्र जी सरकार से चाहते है कि भाडे बढने चाहिए और भाडे के रेट को किलोमीटर के हिसाब से फिक्स कर देन चाहिए ताकि भाडा बढ सके और ट्रांसपोर्टर का भी कुछ बन सके।
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