Transporter बंता सिंह ने 25 साल में बनाए खुद के दस ट्रक

* मोबाइल के साथ साथ कंप्‍यूटर और इंटरनेट भी करते है यूज

पंजाब के बटाला के रहने वाले बंता सिंह को ट्रांसपोर्ट लाइन का लंबा अनुभव है। बंता सिंह जी उन ट्रांसपोर्टराें में से एक है, जिहन्‍होने अपनी मेहनत से इस बिजनेस में सफलता पाई। बंता सिंह ने वो दौर भी देखा है, जब रास्‍ते में जरूरत पडने पर ड्राइवर को एसटीडी से कॉल करनी पडती थी। अब डिजिटल युग में ट्रांसपोर्ट लाइन भी डिजिटल हो गई है। बंता सिंह इसे फायदेमंद मानते है। ट्रक सुविधा से बात करते हुए उन्‍होंने बताया कि मुझे ट्रांसपोर्ट लाइन में 25 से 26  साल हो गए है। मेरी उम्र पचास के करीब है। दो ट्रको के साथ मैने काम की शुरूआत की थी। अपनी मेहनत और लगन के साथ धीरे धीरे अपने काम को और बढाया। मैने दो ट्रको से धीरे धीरे एक एक करके इस टाईम अपने 10 दस ट्रांसपोर्ट के काम के लिए तैयार किए है जो कि मेरी मेहनत का नतीजा है। इस डिजिटल युग में बंता सिंह जी मोबाइल के साथ साथ कंप्‍यूटर और इंटरनेट का भी प्रयोग करते है। बंता सिंह कहते है कि मेरा मानना है कि जीएसटी लगने के बाद ट्रांसपोर्ट लाइन में काम कम हो गया है। मार्केट में काम कम होने की वजह है ज्‍यादा गाडियों का होना। जब से काम शुरू किया, तब से लेकर अब तक गाडी की मुरमत पर ज्‍यादा खर्च होता है। बंता सिंह जी अंडरलोड को सही मानते है। वे कहते है कि सरकार ने गाडियों के टोल टैक्‍स के रेट काफी बढा रखे है। ट्रांसपोर्ट बिजनेस में सबसे बडी दिक्‍कत तो यह आ रही है कि एक तो सरकार ने इजी फाइनेंस पॅलिसी चला रखी है। यह पॅालसी गलत है। कोई भी फाइनेंस पर गाडी ले लेता है। जिससे मार्केट में गाडियों की संख्‍या बहुत ज्‍यादा हो गई है और काम कम हो गया है। यदि कोई व्‍यपारी या कनसाइनर, बुकिंग वाला गाडी  लोड करवाता है तो जैसे बाहर के देशों में समय पर माल न पहुंचने पर  हर एक से फाइन वसूल किया जाता है, हमारे देश में भी ऐसा ही रूल होना चाहिए। जैसे एक ट्रेन समय पर स्‍टेशन पर आकर सवारी लेकर दूसरी स्‍टेशन पर पहुंच जाती है। ठीक वैसे ही ट्रांसपोर्टस के बिजनेस में रूल होने चाहिए। गाडियों को तीन तीन दिन तक खडा नही रखना चाहिए। ऐसे रूल बनने चाहिए कि ट्रांसपोर्टस का हर काम रूल के हिसाब से चलना चाहिए। उकना कहना है कि पुलिस वाले या ट्रैफिक पुलिस वाले ड्राइवरों के साथ बहुत ही बुरा व्‍यवहार करते है। ट्रासंपोर्ट के बिजनेस में दिक्‍कत यह आती है कि ड्राइवर नही मिल पाते। इस तरह का सिस्‍टम होना चाहिए कि ड्राइवर फोरन मिल जाए। उनका मानना है कि डीजल के रेट बढते है तो भाडा भी बढना चाहिए।

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