अंडरलोड गाडी का रेट बढिया मिले तो कोई भी अपनी गाडी ओवरलोड नही चलाएगा : transporter-gagandep-singh

गगनदीप सिंह जी पंजाब के संगरूर के रहने वाले है। इनके पिता जी भी ट्रांसपोर्टस लाइन में  37 साल काम कर चुके है। इन्‍होंने अपने पिता जी से ही ट्रांसपोर्टस का काम सीखा है। इनका कहना  है कि जब इन्‍होंने काम की शुरूआत की थी तब इनके पास खुद की दो गाडियां थी , अब इनके पास खुद की पांच गाडियां है। इनका कहना  है कि यह ट्रांसपोर्टस बिजनेस में खुद गाडी चलाकर ट्रांसपोर्टस बिजनेस में सक्‍सेज हुए, फिर इन्‍होंने धीरे धीरे दो गाडियों से पांच गाडियां बना ली। इनका कहना है कि पहले काम बढिया चलता  था अब ट्रांसपोर्टस बिजनेस का काम एवरेज हो गया है। अब ट्रांसपोर्टस बिजनेस मे भाडे के रेट नही मिलते और टैक्‍स, टोल टैक्‍स, रोड  टैक्‍स, इंश्‍योरेंस के रेट काफी बढ गए है। इनका कहना है कि ऑनलाइन सिस्‍टम से फायदा हुआ है । ऑनलाइन सिस्‍टम से ट्रांसपोर्टस बिजनेस  में यह फायदा हुआ है कि अब बार्डर पर गाडी को पेपर चैक करवाने के लिए रूकना नही पडता। ऑनलाइन ही पेपर चैक कर लिए जाते है। इससे समय की बचत हुई है। ई वे बिल के आने से ट्रांसपोर्टस को फायदा हुआ है। वे ओवलोड को बिल्‍कुल भी सही नही मानते है। इनका कहना है कि अंडरलोड गाडी का रेट बढिया मिले तो कोई भी अपनी गाडी ओवरलोड नही चलाएगा। मजबूरी में गाडी की किश्‍ते निकालने के लिए करना पडता है ओवरलोड । इनका कहना है कि इस बिजनेस में सबसे बडी दिक्‍कत यह आ रही है कि फैक्‍टरी वाले गाडी को लोडिंग और अंलोडिंग के चक्‍कर में तीन से चार दिन खडी करके रखते है जिससे नुकसान होता है, यह दिक्‍कत सबसे ज्‍यादा आ रही है। इनका सुझाव है कि गाडी का लोडिंग और अंलोडिग का टाईम फिक्‍स होना चाहिए कि कितने घण्‍टे गाडी खाल में माल भर जाएगा और कितने घण्‍टे में गाडी से माल खाली हो जाऐगा । अगर फिक्‍स टाईम से ज्‍यादा  टाईम लगे तो ट्रांसपोर्टस को उसके अलग से पैसे मिलने चाहिए।

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