मजबूरी में करना पड़ता है ओवरलोड : transporter-yugraj-singh
युगराज सिंह जी अमृतसर के रहने वाले है। इन्हे ट्रासंपोर्टस के बिजनेस मे आए हुए अभी दो ही साल हुए है। इनका कहना है कि जब इन्होने ट्रासंपोर्टस बिजनेस की शुरूआत की थी तब इनके पास एक ही ट्रक था। पहले यह 10 चक्का वाली गाड़ी चलाते थे और अब भी इनके पास खुद का एक ही ट्रक है लेकिन अब 11 चक्का गाडी चलाते है। आज के डिजिटल युग
में मोबाइल, कंप्यूटर और इंटरनेट का प्रयोग करते है। यह ऐसी ऑनलाइन सुविधा का फायदा उठना चाहते है जिससे इन्हे इनके खाली ट्रक के लिए माल मिल सके । ये अपना व्यवसाय और आगे बढाना चाहते है। इनका कहना है कि जब से जीएसटी लगी है ट्रासंपोर्टस के बिजनेस में काफी दिक्कते आ रही है। कैश नही मिलता भाडे के रेट नही मिलते, चैक के जरिए पेमेंट होती है जिसे निकलवाने में टाईम काफी खराब होता है। पहले इस तरह की दिक्कत नही आती थी। इनका कहना है कि इस लाइन में काफी चेंज देखने को मिला है , टोल बैरियर अब काफी जगह पर खुल गए है टोल के रेट भी काफी बढ गए है। इनका कहना है कि डीजल के रेट बढने से भाडा तो बढना ही चाहिए। युगराज सिंह जी अंडरलोड को सही मानते है । वे कहते है कि ओवरलोड तो हम मजबूरी में करते है जब माल भाडा नही मिल पाता है। इनके अनुसार ट्रांसपोर्टस के बिजनेस में सबसे बडी दिक्कत यह आ रही है कि नई गाडियों के आने पुरानी गाडियों को कोई पूछता तक नही है। गाडियों में टन भी बढा दिए गए है। इनका कहना है कि माल की लोडिंग और अनलोडिग का खर्चा निकाल कर ट्रासपोर्टस को भी कुछ बचना चाहिए। ऐसा सिस्टम होना चाहिए जिससे ट्रांसपोर्टस को भी कुछ बच सके। अगर ट्रांसपोर्टर्स की इंकम बढेगी तो और लोग इस बिजनेस में आएंगे।
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