ओवरलोड गाडी चलाने से उल्‍टा गाडी को ही नुकसान होता है : transporter harpreet singh

हरप्रीत सिंह जी पंजाब के  बठिंडा के रहने वाले है। पहले ये 6 चक्‍के की गाडी चलाते थे अब इनके पास दो गाडियां है ।एक 10 चकके की गाडी है और दूसरी गाडी 12 चक्‍के की है। हरप्रीत सिंह जी के पिता जी भी ट्रांसपोर्ट का काम बहुत सालों से संभाल रहे है। कम से कम इन्‍हे 30 से 40 साल ट्रांसपोर्टस का काम संभाला। वे मोबाइल, कंप्‍यूटर व इंटरनेट का प्रयोग करते है। वे ट्रक सुविधा डॉट कॉम से जुडे रहे। इनका कहना है कि जब से जीएसटी लगी है काम काफी मंदा हो गया है। जीएसटी से पहले काम बढिया चल रहा था। जीएसटी के बाद नुकसान ही नुकसान उठाना पर रहा है ट्रांसपोर्टस को, जीएसटी के बाद महंगाई काफी बढ गई है। इनका कहना है कि पहले काम बढिया चल रहा था ट्रांसपोर्टस का पहले डीजल के रेट भी कम थे और भाडा भी सही मिल जाता था। अब डीजल के रेट काफी बढ गए है डीजल के साथ-साथ गाडियों के स्‍पेयर पॉट भी काफी महंगे हो गए है। गाडी पर खर्चा अधिक होता है । उनका कहना है कि डीजल के रेट बढते है तो भाडा तो बढना ही चाहिए, लेकिन भाडे कोई नही बढाता है वे अंडर लोड गाडी को चलाना ही सही मानते है। ओवरलोड गाडी चलाने से उल्‍टा गाडी को ही नुकसान होता है। इनका कहना है कि ट्रांसपोर्टस के बिजनेस में दिक्‍कते बढ गई है।  कहने का मतलब यह है कि भाडे तो पुराने ही मिल रहे है। इस बिजनेस में टैक्‍स काफी बढ गए है। इंश्‍योरेंस के रेट भी बहुत ज्‍यादा हो गए है। इस बिजेस से सरकार को करोड़ों रुपए टैक्‍स मिलता है, लेकिन इस बिजनेस की दिक्‍कतों की ओर सरकार ध्‍यान नहीं देती है। सरकार को चाहिए कि ट्रांसपोर्टस को टोल टैक्‍स में छूट दें और इंश्‍योरेंस के रेट भी कम करें। इससे ट्रांसपोर्ट लाइन को फायदा हो सकता है।

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