आनलाइन से ट्रांसपोर्टर्स लाइन को हो रहा है फायदा : transporter-avtar-singh
अवतार सिंह मानसा पंजाब के रहने वाले है। इन्होंने ड्राइवरी से अपने काम की शुरूआत की थी। इनके पास खुद का एक ट्रक है। इनका कहना है कि जब काम की शुरूआत की थी तब हम 10 चक्का गाडी चलाते थे जो की 6 लाख की आ जाती थी। अब गाडी का रेट 25 लाख तक हो गया है। पहले के मुकाबले अब खर्चे ज्यादा हो गए है। पहले कए गाड़ी में अच्छी कमाई हो जाती थी। अब खर्चे अधिक होने के कारण बचत नहीं हो पाती है। जिनके पास ज्यादा गाडि़यां हैं, उन्हें कमाई हो रही है। इनका मानना है कि अब मार्केट में गाडि़यां बहुत हो गई है। पहले गाडि़यां इतनी नहीं थी। पहले इस बिजनेस में नए लोग कम ही आते थे। अब ताे पैसे वाले और पढे लिखे लोग भी इस बिजनेस में आने लगे है। इससे गाडि़यों की संख्या भी बढ गई है। अवतार सिंह जी कहते है कि अब यह बिजनेस आनलाइन हो गया है। सब कुछ आनलाइन होने लगा है। माल चाहिए तो आनलाइन मिल जाता है। भाड़ा भी सीधे खाते में आ जाता है। पहले माल के लिए ट्रांसपोर्ट के चक्कर काटने पडते थे। माल पहुंचाने के बाद भाड़ा लेन के लिए भी कई बार जाना पडता था। लेकिन अब ऐसा नहीं है। सीधे खाते में भाड़ा आ जाता है। इसी तरह ई वे बिल के आने से भी फायदा हुआ है। हालांकि इससे ट्रक वालो को ज्यादा फायदा नही हो रहा है। असली फायदा तो व्यपारी को हो रहा है। इनका कहना है कि गाडियों में ओवरलोड नही होना चाहिए ओवरलोड होने से गाडी को नुकसान होता है। गाडी में ओवरलोड डालने से आरटीओ वाले और पुलिस वाले बहुत परेशान करते है। इनका कहना है कि यादि गाडी में एक टन भी ओवरलोड होता है तो आरटीओ वाले एक टन ओवरलोड का 500 रूपए लेते है। अगर गाडी मे दो टन हो जाए तो 1000 रूपए वसूल किए जाते है। इनका कहना है कि इस बिजनेस में सबसे बडी दिक्कत यह है कि आरटीओ वाले और पुलिस वाले बहुत परेशान करते है। इनका कहना है कि बाहर के देशों में ड्राइवरों के रहने, रेस्ट करने और नहाने धोने की व्यवस्था की जाती है। लेकिन हमारे भारत मे ड्राइवरों की रेस्ट, नहाने, खाने, पीने की कही भी व्यवस्था नही की जाती है।
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