पढे लिखे और पैसे वाले लोग भी इस बिजनेस में आने लगे है : transporter-inderjeet-singh

इंदरजीत सिंह जी चण्‍डीगढ के रहने वाले है। इनका कहना है कि इनके बुजुर्ग भी ट्रांसपोटर्स लाइन में काम करते थे , यह इनका पुश्‍तैनी काम है।  इनके पास खुद की सात गाडियां है। इनका कहना है कि इनका ट्रांसपोर्टस का बिजनेस बहुत ही बढिया चल रहा था लेकिन अब कुछ टाईम से काम थोडा मंदा हो गया है। वे कहते है कि ट्रांसंपोर्ट लाइन से ही दूसरे बिजनेस टिके हुए है। किसी भी बिजनेस में माल ले जाने का काम तो ट्रांसपोर्ट से ही होता है। पहले इस काम को अच्‍छा नहीं माना जाता था, पहले पढे लिखे लोग इस बिजनेस में नहीं आते थे। लेकिन अब पढे लिखे और पैसे वाले लोग भी इस बिजनेस में आने लगे है। कई लोगों ने सौ से ज्‍यादा ग‍ाडि़यां डाली हुई है। इस धंधे मे कमाई है तभी तो लोग इसमें पैसा लगा रहे है। उनका कहना है कि अब तो ट्रांसपोर्टलाइन में सब कुछ आनलाइन होने लगा हे। इससे फायदा भी हो रहा है ट्रांसपोर्टर्स को। ई वे बिल से व्‍यपारियों को तो काफी फायदा हुआ है। अब बार्डर पर समय की बचत हो जाती है और बार्डर पर बार बार पेपर चैक करवाने का झंझट खत्‍म हो गया है। इनका कहना है कि कभी कभी गाडी में ओवरलोड डाल लेते है गाडी की किश्‍ते निकालने के लिए वैसे अंडरलोड गाडी चलाना पंसद करते है । अंडरलोड गाडी चलाने से गाडी को नुकसान कम होता है। गाडी में ओवरलोड डालने से गाडी के टायर फटने का डर रहता है।इंदरजीत सिंह जी कहते है कि इस बिजनेस में सबसे ज्‍यादा दिक्‍कत तो यह आ रही है कि सारी चीजों के रेट पहले से चार गना हो गए है। महंगाई के बढने से इस काम में तो बचत कम हो गई हे। अब तो भाड़े के रेट भी सही नहीं मिलत है। । इनका सुझाव है कि मंहगाई कम होनी चाहिए और डीजल के रेट बढने पर भाड़ा भी बढना चाहिए।

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