नई टेक्‍नोलॉजी ने ट्रांसपोर्ट लाइन में अपनी अहम भूमिका निभाई : transporter-manoj

मनोज जी  पिछले 30 वर्षो से ट्रांसपोर्ट लाइन में काम कर रहे है। मनोज जी  ने अपने 40 ट्रक बनाए है।  अपने अनुभव बततो हुए मनोज जी ने कहा कि ट्रांसपोर्ट लाइन में उनकों कई बार भारी दिक्‍कतों का सामना करना पडा है, लेंकिन उन्‍नहोंने हिम्‍मत नहीं हारी और काम मेें लगे रहे। लगातार मेहनत व ईश्‍वर के आर्शीवाद की बदाैलत उन्‍होंने यह सफलता हासिल की है। आज वह जो कुछ भी है वो अपनी मेहनत और भगवान के आशीर्वाद से है। मनोज जी का कहना है कि इस बि‍जनेस में नई टेक्‍नोलॉजी ने अपनी अहम भूमिका निभाई है, जिसकी वजह से इस बिजनेस में तरक्‍की के आसार बढे है। उनका कहना है कि आनलाइन होने से उन्‍हें पैमेट के देन लेन से जो समस्‍या होती थी, वह तकरीबन  खत्‍म हो गई है। अब बैंकों में खडे होकर जो समय बर्बाद होता था, उसकी बचत हो गई है। जीपीएस लगने से दो नम्‍बर के कामों पर कहीं हद तक अंकुश लगा है। अब ट्रांसपोर्टस कही पर भी रहकर  गाड़ी पर नजर रख सकते है। उन्‍होंने कहा कि ऑनलाइन होने से कागजी कार्यवाही में भी तेजी आई है, जिससे ट्रकों का कामकाज आसान हुआ है। मनोज जी का कहना है कि इस ट्रांसपोर्ट लाइन की सबसे बडी दिक्‍कत यह है कि डीजल के रेट बढाए जाते है, लेकिन भाडा नहीं बढाया जाता, जिसकी भरपाई ट्रांसपोटर्स को अपनी जेब से करनी पडती है। उनका कहना है क‍ि इस लाइन में  लेवर नहीं मिलती और जो लेवर आती है वह नगद पेमेंट लेती है, जिसे ट्रांसपोर्टस द्वारा स्‍वयं से देना पडता है। उनका कहना है कि हाइवे पर पुलिस कार्यवाही के नाम पर काफी परेशान करती है।  उन्‍होंने कहा कि ओवरलोड सही नहीं है, क्‍योंकि इससे न सिर्फ ड्राइवर की जान को खतरा है, बल्कि अन्‍य यातायात भी प्रभावित होता है। कई बार ओवरलोड वाहन भयानक हादसों का कारण भी बनते है। मनोज जी सरकार से चाहते है कि एक तो सरकार को डीजल के रेट को कम करने चाहिए। दूसरा टोल  टैक्‍स या रोड टैक्‍स में से एक ही टैक्‍स लेना चाहिए, क्‍योंकि यह टैक्‍स काफी मंहगे है। गाडी को खरीदने से लेकर रोेड पर चलाने तक पैसे की भरपाई करनी पडती है।  इस ओर भी सरकार को ध्‍यान देना चाहिए।

 

 

 

 

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