ओवरलोड में जितना बचता है, उतना मरम्‍मत और टायर में खर्च हो जाता है: transporter मनोज कुमार

मनोज कुमार जी पांच सालों से  ट्रांसपोर्ट लाइन में काम कर रहे है। उन्‍होंने एक ट्रक के साथ ट्रांसपोर्टस का काम शुरू किया था। आज उनके पास अपने खुद के दस ट्रक है। मनोज जी बताते है कि कई बार काम काफी मंदा हो गया और खर्चा निकालना मुश्किल हो गया, लेकिन मैने हार नहीं मानी। जब अच्‍छे दिन हमेशा नहीं रहते तो बुरे दिन भी हमेशा के लिए नहीं आतेे, इसलिए मेहनत करते रहा, सक्‍सेज जरूर मिलेगी। मनोज जी मोबाइल और इंटरनेट का यूज करते है। मनोज कुमार जी बताते  है कि जीएसटी लगने के बाद अब बार्डर पर ट्रक को पेपर चेक कराने के लिए नही रूकना पडता है।  राेड सही हो गए है। अब समय भी बच जाता है। मनोज जी ने बताया कि पिछले पांच सालों में ट्रांसपोर्टस लाइन में  काफी चेंज आया है। अब ऑनलाइन काम हो गया है। हम आसानी से गाडियों को ऑनलाइन बुक कर सकते है। गाडी में जीपीएस के लगे होने के काफी फायदे है। हम गाडी की लोकेशन को आसानी से देख सकते है। गाडी किस स्‍पीड से चल रही है, यह हम जीपीएस की सहायता से आसानी से देख सकते है। मनोज जी ओवरलोड को गाडियों के लिए बिल्‍कुल गलत मानते है। उनका कहना है कि ओवरलोड में जितना बचता है, उससे ज्‍यादा गाड़ी की मरम्‍मत और टायर पर खर्च हो जाता है। उन्‍होंने बताया कि ट्रासंपोर्ट बिजनेस में सबसे बडी दिक्‍कत यह आ रही है कि गाडी के टोल टैक्‍स काफी बढ गए है और ट्रेंड ड्राइवर नही मिल पाते है। ट्रांसपोर्टस का जब काम शुरू किया था तब इस लाइन में कोई दिक्‍कत नही आती थी और भाडे के रेट सही थे। डीजल के रेट भी सही थे । इस समय डीजल के रेट भी बढ गए है और गाडी के भाडे बीस साल पुराने ही चल रहे है । इसलिए अब भाडे के रेट बढने चाहिए। डीजल के रेट और गाडी के इंश्‍योरेंस के रेट भी कम होने चाहिए।डीजल के रेट बढने पर भाडा भी जरूर बढना चाहिए।

 

 

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