ई वे बिल से फायदा भी और नुकसान भी transporter जसबीर सिंह

transporter जसबीर सिंह को इस बिजनेस का काफी लंबा अनुभव है। इन्‍होंने इस लाइन में काफी उतार चढाव देखे है। ट्रांसपोर्ट लाइन में हुए बदलाव और अपने अनुभवों को उन्‍होंने ट्रक सुविधा के साथ सांझा किया।
जसबीर सिंह जी पंजाब में डेराबंसी के रहने वाले है। इन्‍हे ट्रांसपोट्र्स लाइन में काम करते हुए 24 साल हो गए है। इस बिजनेस में सफलता इन्‍होंने खुद गाडी को ड्राइव करे हासिल की।  इनका कहना है कि अब इस बिजनेस में खर्चे काफी बढ गए है। हर चीज के रेट इतने बढ गए है कि गाडी का खर्चा निकालना मुश्‍किल हो गया है। इनका मानना है कि ई वे बिल के आने से फायदा भी है और नुकसान भी हो रहा है। फायदा ये है कि अब बार्डर पर गाडी को बार बार रूकना नही पडता है। और  नुकसान ये है कि रास्‍ते में गाडी के खराब होने पर पहले तो दूसरी गाडी को भेज कर उसी बिल पर काम चल जाता था लेकिन अब यह नुकसान है कि गाडी के खराब होने पर दूबारा से ई वे बिल बनाना पडता है। जिससे बिल बनाने में समय भी खराब होताा है और यदि गाडी में कच्‍चा माल लोड किया हो तो वह माल भी खराब होताा है। व्‍यापारी माल लेने से मना कर देता है जिसका नुकसान गाडी वाले काे ही झेलना पडता है। इनकाा कहना है कि अब  गाडी में ओवरलाेड डाल ही नही सकते हर 40  किलो मीटर की दूूूूूूरी पर टोल पर कांटा  लगा हुआ है। इस बिजनेस में सबसे बडी दिक्‍कत यह है कि पुलिस, आरटीओ वाले और दलाली खाने वाले दलाली खा कर इस काम को खत्‍म कर रहे है। असली बचत तो उनकी जेब में चली जाती है। यदि दलाल का काम बंद हो तो कुछ हो सकता है ट्रांसपोर्टस का। उनका कहना है कि नई पीढी तो बहुत ही कम ही आ रही है इस पीढी में। नई पीढी के आने से इस काम में फायदा हाे सकता है। इनका कहना है कि अब  तो ट्रांसपोर्टस का काम पूंजीपतियाें का ही रह गया है। जिनके पास पूंजी है, वे इस लाइन में सफल हो सकते है।

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