रोड टैक्‍स के साथ टोल टैक्‍स को गलत मानते है ट्रांसपोर्टर अश्‍वनी गोयल

* अश्‍वनी गोयल जी ने अपनी मेहनत से ट्रांसपोर्ट लाइन में पाई सफलता

अश्‍वनी गोयल पिछले कई सालों से ट्रांसपोर्ट लाइन में हैं। इन्‍होंने इस बिजनेस में काफी उतार चढाव देखे है। ट्रांसपार्ट लाइन की दिक्‍कतों और इसकी बेहतरी के लिए अश्‍वनी जी ने ट्रक सुविधा के साथ अपने विचार सांझा किए। अश्‍वनी गोयल जी पंजाब में संगरूर  के रहने वाले है। इन्‍होंने दो ट्रक के साथ ट्रांसपोर्टस के बिजनेस की शुरूआत की थी। अब इनके पास खुद की 8 गाडियां है। जब से काम की शुरूआत की है तब से यह चेंज देखने को मिला है कि अब काम मंदा हो गया है। इनका मानना है कि ट्रांसपोर्ट बिजनेस को लेकर सरकार की पालिसी गलत है। इस लाइन में टैक्‍स बहुत बढ गए है। रोड टैक्‍स के साथ साथ टोल टैक्‍स भी देना पडता है, जबकि सरकार रोड टैक्‍स ले रही है तो टोल टैक्‍स की क्‍या जरूरत है। यह सरासर गलत हे। ट्रक माल लेकर हजारों किलोमीटर दूर जाते है। ऐसे में रास्‍ते में कई टोल टैक्‍स पडते है। इस लाइन में टैक्‍स के अलावा भी और बहुत खर्चें है। इंश्‍योरेंस कितनी अधिक बढ चुकी है। इसके अलावा डीजल के रेट भी आए दिन बढ जाते है।गाडी के टायर और अन्‍य पार्टस भी काफी महंगे है। इन सबके कारण ट्रांसपोर्ट लाइन की कमाई पहले से काफी कम हो गई है। इनका मानना है कि ऑनलाइन सिस्‍टम ट्रांसपोर्टस लाइन के लिए ज्‍यादा फायदेमंद नही है। ई वे बिल के आने से ट्रांसपोर्टस को कोई खास फायदा नही है। इसके बावजूद आरटीओ वाले तंग करते है। अंडरलोड गाडी होने के वावजूद भी आरटीओ वाले गाडी रोक लेते है। महाराष्‍ट्र में बार्डर पर आरटीओ वाले और पुलिस  वाले तंग करते है। इनका मानना है कि ओवरलोड नही होना चाहिए। लेकिन साथ ही आरटीओ द्वारा बेवजह और अंडरलोड होने पर तंग नहीं करना चाहिए । सरकार को सरकारी कर्मचारियों पर भी नजर रखनी चाहिए कि वे ट्रकों को केवल अपनी जेंबें भरने के लिए ना रोकें।

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